Selfie Sahi ya galat Hindi nibandh . Please answer fast
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निबंध • भाषण
आजकल हर कोई सेल्फी लेते हुए दिखाई देता है. बच्चोंसे लेके बढ़ोतक हर कोई अपना हाट ऊपर लिए, हात में फ़ोन लिए खुदकी तस्वीरें खींचते दिखाई देता है. लेकिन आपने इसी सेल्फी की वजह से कई लोगोंको अपनी जान गवांते हुए भी सुना होगा. इसीलिए हमने इस विषय पर और और जानकारी देने के लिए इस लेख में सेल्फी सही या गलत, सेल्फी की लत या एडिक्शन इस विषय पर हिंदी निबंध, भाषण दिया है.
सेल्फी लेना सही या गलत विषय पर हिंदी निबंध, भाषण
“सेल्फी” क्या है? इसका मतलब क्या है?
सेल्फी का इतिहास
सेल्फी के फायदे और नुकसान (सेल्फी सही है या गलत)
सेल्फी के फायदे – पॉजिटिव पॉइंट
विश्वास बढ़ा देता है
सुन्दर क्षणोंको को कैद करना
सेल्फ़ी व्यसन के नकारात्मक अंग (नुकसान)
जोखिम
अनुभव बनाम फोटो
प्रतियोगिता
नैराश्य
निष्कर्ष
सेल्फी लेना सही या गलत विषय पर हिंदी निबंध, भाषण
पहला और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है क्या हम इसे एक लत, व्यसन (एडिक्शन) कह सकते हैं? जवाब है, हां और नहीं। हां, क्योंकि जो व्यक्ति सेल्फी लेते है, उनमेसे ज्यादातर इस कृति की पुनरावृत्ति करतें रहतें है, उसे इसे रोकना या नियंत्रित करना उन्हें मुश्किल लगता है। लेकिन उसी समय सेल्फी की लत के लिए कोई चिकित्सा लक्षण या निदान उपलब्ध नहीं हैं। “लत” शब्द का प्रयोग यहाँ यथोचित रूप से किया गया है। इसका अर्थ है युवा पीढ़ी की सेल्फी के प्रति पागलपन और दीवानापन|
सेल्फी के फायदे और नुकसान या अच्छे और बुरे पक्ष को समझने से पहले हमें यह समझने की आवश्यकता है की सेल्फी की लत, व्यसन (एडिक्शन) का मतलब क्या है, इसकी सुरवात कब और कैसे हुई?
“सेल्फी” क्या है? इसका मतलब क्या है?
संक्षेप में, सेल्फी का मतलब है कि स्वयं का चित्र (फोटो) जो आमतौर पर एक स्मार्टफोन के फ्रंट कैमरे के साथ हाथ से लिया जाता है या सेल्फी स्टिक की मदद से लिया जाता है| सेल्फी लेनेका एक मुख्य कारण यह है कि वह सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राग्राम, स्नैपचैट पर शेयर करना होता है|
कभी-कभी लोग फ़ोन टाइमर का उपयोग करते हैं, लेकिन अधिकांश समय सेल्फी तुरंत और दोन तीन बार ली जाती है । जब आप मित्रों या लोगों के समूह के साथ सेल्फी लेते हैं तो इसे “ग्रूपी” कहा जाता है|वर्ष २०१३ में ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी द्वारा “सेल्फी” शब्द को वर्ष का शब्द घोषित किया गया था।
सेल्फी का इतिहास
१८३९ में, अमेरिकी फोटोग्राफर रॉबर्ट कुरनेलियस ने स्वयं की डग्यूरेरोटाइप (फ़ोटो लेने की पुरानी पद्धति) ली, जो कि इंसान की पहली तस्वीर थी । तकनीकी तौर पर यह पूरी दुनिया में लिया गया पहला फोटो है जिसे सेल्फी कहाँ जा सकता है| नए कैमरों की मदद से लोगों ने खुदके फोटो निकाले है, लेकिन “सेल्फी” शब्द इसके लिए प्रचलित नहीं था। इसे पहली बार डॉ.कार्ल सेल्फ-सर्व साइंस फोरम में इस्तेमाल किया गया, नाथन होप ने एक पोस्ट में उल्लेख किया “(……..And sorry about the focus, it was a selfie)… .. फोकस के बारे में खेद है, यह एक सेल्फी थी”। होप ने बताया की सेल्फी एक स्लैंग है जो लोकल ऑस्ट्रेलिया मे उस समय उपयोग में था|
सोनी एरिक्सन Z1010 पहला मोबाइल फ़ोन था जो फ्रंट कैमरे के साथ २००३ में रिलीज़ किया गया था। तब से सेल्फी ट्रेंड धीरे-धीरे शुरू हुई और पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में फ़ैल गयी है। सेल्फी शब्द इतना आम हो गयां कि ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने २०१३ में “साल का शब्द” घोषित किया।
अब प्रसिद्ध सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म यूजर्स को सेल्फी पोस्ट करनेके लिए प्रवृत्त करते है। सेल्फी का इस्तेमाल राजनीतिक और सरकारी अभियानों में भी किया जाता है। भारत के प्रधान मंत्री ने भारत में “सेल्फी विथ डॉटर” अभियान शुरू किया, जो बहुत सफल हुआ था। हस्तियां, राजनेता, वयस्क, अशिक्षित, टीनएजर्स (किशोर), बच्चे सभीको सेल्फी पता है और वह इसका उपयोग भी करतें है। यह अंतरिक्ष और मंगल पर भी पहुंच गयी है। अंतरिक्ष यात्री भी अंतरिक्ष में सेल्फी लेते हैं और मंगल रोवर ने मंगल ग्रह पर सेल्फी ली। सेल्फी विद्यापन और मार्केटिंग जगत में एक बहोत उमदा विषय बना हुआ है|
सेल्फी के फायदे और नुकसान (सेल्फी सही है या गलत)
सेल्फी खुद कोई भी हानी नहीं पोहचाती, हमारी लत या आदतें हमें संकट में डालती है| इसके कुछ अच्छे तो कुक बुरे पक्ष भी है|