send me a poem on season in hindi
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सावन की बौछारोँ के मध्य,
एक ध्वनि परिचित-सी,
धीरे-धीरे बढ रही।
एक सूकून ह्रदय की दीवारोँ को बेधता,
मस्तिष्क मे पहुँचा, बोला-पहचान तो कर।
काफी इंतजार से क्षीण था,
एक संतुष्टी जगी प्रकट देखकर,
वह तो प्यारी बहना थी।
प्रीत की रीत से पूरित वह दिन आया है।
ईर्ष्या द्वेष की पराकाष्ठा छोड वादा निभाया है।
सावन भी आतुर है,एक झलक निमित्त से।
वह भी उमड-घुमड संदेश एक लाया है।
धागा नही,वह सूत्र है जिसमे छल लेशमात्र नही।
साक्षी है ईश मेरा,रक्षा रँहे,रक्षा करूं।
जरूरत नही किसी चीज की,
पा लिया संसार को।
शायद वह पूर्ण,मै भी परिपूर्ण हूँ।
बेटी वह फूल है,
जो हर बाग मेँ खिलता नहीँ।
कोशिश करो कितनी ही,
भाग्यविहीनो को मिलता नहीँ।
सुरमे की तरह शुध्द है वह,
पलकोँ पर विराजित करो।
बुराई के हर पशु को मानवता की अच्छाई से पराजित करो।
साल बीते,मास बीते,बीते दिन हजार।
माँ ढूँढती रह गई,
मिला न पुत्र का प्यार।
अब वही अबला पुत्री दे गई प्रेम सहस्त्रोँ बार।
बस अब न कहूँगा,मेरे शब्द मौन हुऐ।