Seven wonders of the world nibandh in Hindi.
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दुनिया के अजूबे ऐसे प्राकृतिक और मानव निर्मित संरचनाओं का संकलन है, जो अपनी अद्भुत कला, संरचना, खूबसूरती, से मनुष्य को आश्चर्यचकित करती हैं। प्राचीन काल से वर्त्तमान काल तक दुनिया के अजूबों की ऐसी कई विभिन्न सूचियाँ तैयार की गयी हैं। लगभग 2,200 साल पहले यूनान के विद्वानो ने दुनिया की 7 अजूबो की सूची तैयार की थी और यहीं 7 अजूबे लगभग 2100 सालो तक दुनिया मे प्रचलित रही। लेकिन 1999 मे इसे संशोधित की बात चली क्यूंकी पुरानी इमारतो मे अधिकांश टूट-फुट चुकी हैं। इसलिए इंटरनेट से प्रतियोगिता के ज़रिए एक सूची तैयार की गयी, और 2005 से मतदान शुरू हुआ जिसमे दुनिया भर के लोग शामिल हुए। 2007 पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में दुनिया के नए सात अजूबों के नामों की घोषणा की गई है।
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दुनिया के सात नए अजूबे – 7 Wonders Of The World History & Essay in Hindi
1. ताजमहल (Taj Mahal)

ताजमहल : प्यार एक ऐसी एहसास हैं जिससे खूबसूरत कुछ नही होता हैं, और इसी खूबसूरती को इमारत की शक्ल दी भारत के मुगल बादशाह शाहजहाँ ने. जिन्होने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया था। ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। यह सफेद संगमर्मर से बना हुआ हैं। ताज महल को बनाने मे मुगल बादशाह को पूरे 22 साल लगे थे।
2. क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा (Christ the Redeemer)

क्राइस्ट द रिडीमर : क्राइस्ट द रिडीमर ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक मूर्ति है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है। यह प्रतिमा अपने 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित 39.6 मीटर (130 फ़ुट) लंबी और 30 मीटर (98 फ़ुट) चौड़ी है। इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है. चोटी की उँचाई 700 मीटर (2,300 फ़ुट) हैं। यह मूर्ति कंक्रीट और पत्थर से बना हुआ हैं. इसका निर्माण 1922 से 1931 के बीच हुआ।
3. चीन की विशाल दीवार (Great Wall of China)

चीन की विशाल दीवार : चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी मंगोल हमलावरों से रक्षा के लिए बनाया था। इसका निर्माण पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से बनना शुरू हुआ था जो की सोलहवी शताब्दी तक चला था। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानव निर्मित ढांचे को अन्तरिक्ष से भी देखा जा सकता है। यह 4000 मिल (6,400 किलोमीटर) तक फैली हैं, दीवार इतनी चौड़ी हैं की इसमे 5 घुड़सवार या 10 सैनिक एक साथ गश्त कर सकते हैं।
4. पेत्रा (Petra)

पेत्रा : पेत्रा जॉर्डन के म’आन प्रान्त में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है जो अपने पत्थर से तराशी गई इमारतों और पानी वाहन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ तरह-तरह की इमाराते हैं जो लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई हैं। माना जाता है कि इसका निर्माण कार्य 1200 ईसापूर्व के आसपास शुरू हुआ। यहाँ पेट्रा राजा एरिटास चतुर्थ के नाबाटिअन साम्राज्य की शानदार राजधानी स्थित थी। आधुनिक युग में यह एक मशहूर पर्यटक स्थल है।
5. कोलोसियम (The Colosseum)

कोलोसियम : कोलोसियम या कोलिसियम इटली देश के रोम नगर के मध्य निर्मित रोमन साम्राज्य का सबसे विशाल एलिप्टिकल एंफ़ीथियेटर है। यह रोमन स्थापत्य और अभियांत्रिकी का सर्वोत्कृष्ट नमूना माना जाता है। इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70वी – 72वी ईस्वी के मध्य प्रारंभ किया और 80वी ईस्वी में इसको सम्राट टाइटस ने पूरा किया। इस स्टेडियम मे 50000 तक लोग एकट्ठे होकर जंगली जनवरो और योद्धाओ के बीच खूनी लड़ाई देखते थे। इसके अलावा इसमे संस्कृति कार्यक्रम और तीर्थ स्थान के रूप मे भी इस्तेमाल किया जाता था। रोमनवासी इस खेल को बहुत पसंद करते थे। पूर्व मध्यकाल में इस इमारत को सार्वजनिक प्रयोग के लिए बंद कर दिया गया। अनुमान है कि इस स्टेडियम के ऐसे प्रदर्शनों में लगभग 5 लाख पशुओं और 10 लाख मनुष्य मारे गए।
6. माचू पिच्चू (Machu Picchu)

माचू पिच्चू : माचू पिच्चू दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे स्थित एक कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है। यह समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी, जिसमे से उरुबाम्बा नदी बहती है, उसके ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है। 1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही छोड़ दिया गया। हालांकि कहा जाता हैं यहाँ चेचक जैसी बीमारी फैल जाने के कारण उन्हे छोड़ना पड़ा था।
7. चीचेन इट्ज़ा (Chichen Itza)

चीचेन इट्ज़ा : मेक्सिको मे बसी चीचेन इट्ज़ा या चिचेन इत्ज़ा कोलम्बस-पूर्व युग में माया सभ्यता द्वारा बनाया गया एक बड़ा शहर था। चीचेन इट्ज़ा, उत्तर शास्त्रीय से होते हुए अंतिम शास्त्रीय में और आरंभिक उत्तरशास्त्रीय काल के आरंभिक भाग में उत्तरी माया की तराई में एक प्रमुख केंद्र था। यह स्थल वास्तु शैलियों के विविध रूपों का प्रदर्शन करता है, शहर के बीचो-बीच कुकलाकन का मंदिर हैं जो 79 उँचाई तक बना है। इसकी चारो दिशाओ मे 91 सीढ़ियाँ हैं, प्रत्येक सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतीक हैं. और 365 दिन उपर चबूतरा हैं।
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SEVEN WONDERS OF THE WORLD
Explanation:
7 Wonders of the world / दुनिया के अजूबे ऐसे प्राकृतिक और मानव निर्मित संरचनाओं का संकलन है, जो अपनी अद्भुत कला, संरचना, खूबसूरती, से मनुष्य को आश्चर्यचकित करती हैं। प्राचीन काल से वर्त्तमान काल तक दुनिया के अजूबों की ऐसी कई विभिन्न सूचियाँ तैयार की गयी हैं। लगभग 2,200 साल पहले यूनान के विद्वानो ने दुनिया की 7 अजूबो की सूची तैयार की थी और यहीं 7 अजूबे लगभग 2100 सालो तक दुनिया मे प्रचलित रही। लेकिन 1999 मे इसे संशोधित की बात चली क्यूंकी पुरानी इमारतो मे अधिकांश टूट-फुट चुकी हैं। इसलिए इंटरनेट से प्रतियोगिता के ज़रिए एक सूची तैयार की गयी, और 2005 से मतदान शुरू हुआ जिसमे दुनिया भर के लोग शामिल हुए। 2007 पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में दुनिया के नए सात अजूबों के नामों की घोषणा की गई है।
ताजमहल : प्यार एक ऐसी एहसास हैं जिससे खूबसूरत कुछ नही होता हैं, और इसी खूबसूरती को इमारत की शक्ल दी भारत के मुगल बादशाह शाहजहाँ ने. जिन्होने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया था। ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। यह सफेद संगमर्मर से बना हुआ हैं। ताज महल को बनाने मे मुगल बादशाह को पूरे 22 साल लगे थे।
क्राइस्ट द रिडीमर : क्राइस्ट द रिडीमर ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक मूर्ति है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है। यह प्रतिमा अपने 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित 39.6 मीटर (130 फ़ुट) लंबी और 30 मीटर (98 फ़ुट) चौड़ी है। इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है. चोटी की उँचाई 700 मीटर (2,300 फ़ुट) हैं। यह मूर्ति कंक्रीट और पत्थर से बना हुआ हैं. इसका निर्माण 1922 से 1931 के बीच हुआ।
पेत्रा : पेत्रा जॉर्डन के म’आन प्रान्त में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है जो अपने पत्थर से तराशी गई इमारतों और पानी वाहन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ तरह-तरह की इमाराते हैं जो लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई हैं। माना जाता है कि इसका निर्माण कार्य 1200 ईसापूर्व के आसपास शुरू हुआ। यहाँ पेट्रा राजा एरिटास चतुर्थ के नाबाटिअन साम्राज्य की शानदार राजधानी स्थित थी। आधुनिक युग में यह एक मशहूर पर्यटक स्थल है।
कोलोसियम : कोलोसियम या कोलिसियम इटली देश के रोम नगर के मध्य निर्मित रोमन साम्राज्य का सबसे विशाल एलिप्टिकल एंफ़ीथियेटर है। यह रोमन स्थापत्य और अभियांत्रिकी का सर्वोत्कृष्ट नमूना माना जाता है। इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70वी – 72वी ईस्वी के मध्य प्रारंभ किया और 80वी ईस्वी में इसको सम्राट टाइटस ने पूरा किया। इस स्टेडियम मे 50000 तक लोग एकट्ठे होकर जंगली जनवरो और योद्धाओ के बीच खूनी लड़ाई देखते थे। इसके अलावा इसमे संस्कृति कार्यक्रम और तीर्थ स्थान के रूप मे भी इस्तेमाल किया जाता था। रोमनवासी इस खेल को बहुत पसंद करते थे। पूर्व मध्यकाल में इस इमारत को सार्वजनिक प्रयोग के लिए बंद कर दिया गया। अनुमान है कि इस स्टेडियम के ऐसे प्रदर्शनों में लगभग 5 लाख पशुओं और 10 लाख मनुष्य मारे गए।
माचू पिच्चू : माचू पिच्चू दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे स्थित एक कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है। यह समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी, जिसमे से उरुबाम्बा नदी बहती है, उसके ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है। 1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही छोड़ दिया गया। हालांकि कहा जाता हैं यहाँ चेचक जैसी बीमारी फैल जाने के कारण उन्हे छोड़ना पड़ा था।
चीचेन इट्ज़ा : मेक्सिको मे बसी चीचेन इट्ज़ा या चिचेन इत्ज़ा कोलम्बस-पूर्व युग में माया सभ्यता द्वारा बनाया गया एक बड़ा शहर था। चीचेन इट्ज़ा, उत्तर शास्त्रीय से होते हुए अंतिम शास्त्रीय में और आरंभिक उत्तरशास्त्रीय काल के आरंभिक भाग में उत्तरी माया की तराई में एक प्रमुख केंद्र था। यह स्थल वास्तु शैलियों के विविध रूपों का प्रदर्शन करता है, शहर के बीचो-बीच कुकलाकन का मंदिर हैं जो 79 उँचाई तक बना है। इसकी चारो दिशाओ मे 91 सीढ़ियाँ हैं, प्रत्येक सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतीक हैं. और 365 दिन उपर चबूतरा हैं।
चीन की विशाल दीवार : चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी मंगोल हमलावरों से रक्षा के लिए बनाया था। इसका निर्माण पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से बनना शुरू हुआ था जो की सोलहवी शताब्दी तक चला था। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानव निर्मित ढांचे को अन्तरिक्ष से भी देखा जा सकता है। यह 4000 मिल (6,400 किलोमीटर) तक फैली हैं, दीवार इतनी चौड़ी हैं की इसमे 5 घुड़सवार या 10 सैनिक एक साथ गश्त कर सकते हैं।