शंभु महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए ।
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पिताजी जौनपुर,मैनपुरी ,कानपुर ,देहरादून ,कलकत्ता ,बम्बई के अलावा प्राइवेट प्रोग्राम में जाते थे तो बिरजू जी भी साथ में रहते है थे |
एक बार संभु महाराज ,चाचाजी के साथ बीरजु महाराज जी कलकत्ता के एक प्रोग्राम में नृत्य किये जहाँ इन्हे सर्वोत्तम घोषित कर पुरुष्कृत किया गया था |
कभी -कभी अंडे खाने के लिए चाचाजी कहते थे तो बिरजू महाराज जी नहीं कहते थे किन्तु जब उसे मूंग की दाल का बना हुआ बताते थे तब बहुत चाव से कहते थे |
साढ़े नौ साल की उम्र में बिरजू महाराज के पिता की मृत्य हो गई | आखरी प्रोग्राम मैनपुरा में था | पिताजी 54 साल के थे | लू लग गई थी | अपनी आतंरिक पीड़ा को बिरजू महाराज अपने पिता का स्वभाव की तरह ही किसी से नहीं कहते थे |
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