'शुचिपर्यावरणम् इति पाठस्य श्लोकानां सम्वरं गायनं कृत्वा स्मरत?
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शुचिपर्यावरणम् पाठपरिचयः
इसमें कवि ने महानगरों की यांत्रिक-बहुलता से बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह लौहचक्र तन-मन का शोषक है, जिससे वायुमण्डल और भूमण्डल दोनों मलिन हो रहे हैं।
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