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शाहजहाँ का निबंध हिंदी में 200 से अधिक शब्दों में​

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Answered by shivangshukla84
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मुगल सम्राट शाहजहां का शासनकाल मुगल राज्य का स्वर्ण युग कहा जाता है । समृद्धि, शान्ति, सुव्यवस्थित विशाल साम्राज्य तथा सभी क्षेत्रों में उन्नति के चरमोत्कर्ष के साथ-साथ ऐसा वैभव-विन्यास उस काल का था, जिसको देखकर विदेशी यात्रियों तक की आखें चौंधिया जाती थीं ।

मुगल सम्राट शाहजहां का शासनकाल मुगल राज्य का स्वर्ण युग कहा जाता है । समृद्धि, शान्ति, सुव्यवस्थित विशाल साम्राज्य तथा सभी क्षेत्रों में उन्नति के चरमोत्कर्ष के साथ-साथ ऐसा वैभव-विन्यास उस काल का था, जिसको देखकर विदेशी यात्रियों तक की आखें चौंधिया जाती थीं ।मुगल शासक शाहजहां के शासनकाल में राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक स्थिति अपने चरम पर थी । वह अपने विशाल स्वर्णिम वैभव को ऐश्वर्य के उत्कर्ष पर पहुंचाने में जितना सफल हुआ, उतना शायद कोई अन्य बादशाह नहीं ।शाहजहां का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर में हुआ था । उसकी माता मानवती {जगतगुसाई] थी, जो राजपूत राजकुमारी थी । जोधपुर के मोटाराज उदयसिंह की पुत्री थी । शाहजहां के बचपन का नाम खुर्रम था और पिता का नाम जहांगीर उर्फ सलीम था । खुसरो और परवेज शाहजहां के बड़े भाई थे । जहांगीर के जन्म के समय ज्योतिषियों ने उसके स्वर्णिम भविष्य की भविष्यवाणी कर दी थी ।

शाहजहां का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर में हुआ था । उसकी माता मानवती {जगतगुसाई] थी, जो राजपूत राजकुमारी थी । जोधपुर के मोटाराज उदयसिंह की पुत्री थी । शाहजहां के बचपन का नाम खुर्रम था और पिता का नाम जहांगीर उर्फ सलीम था । खुसरो और परवेज शाहजहां के बड़े भाई थे । जहांगीर के जन्म के समय ज्योतिषियों ने उसके स्वर्णिम भविष्य की भविष्यवाणी कर दी थी ।4 वर्ष 4 माह 4 दिन के बाद खुर्रम का विद्या संस्कार प्रारम्भ कर दिया गया । अकबर और जहांगीर ने खुर्रम की शिक्षा में विशेष रुचि लेते हुए उसे ईरानी विद्वान मुल्ला कासिम बेग तबरेजी से प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करवायी । अन्य अध्यापकों में हकीम अली, शेख सूफी, तारतार खां थे । खुर्रम कुशाग्र बुद्धि वाला राजकुमार था । उसे नीरमुराद जुबैनी ने धनुर्विद्या और राजा शालिवाहन ने घुड़सवारी तथा गोली चालन की शिक्षा दी ।

शाहजहां का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर में हुआ था । उसकी माता मानवती {जगतगुसाई] थी, जो राजपूत राजकुमारी थी । जोधपुर के मोटाराज उदयसिंह की पुत्री थी । शाहजहां के बचपन का नाम खुर्रम था और पिता का नाम जहांगीर उर्फ सलीम था । खुसरो और परवेज शाहजहां के बड़े भाई थे । जहांगीर के जन्म के समय ज्योतिषियों ने उसके स्वर्णिम भविष्य की भविष्यवाणी कर दी थी ।4 वर्ष 4 माह 4 दिन के बाद खुर्रम का विद्या संस्कार प्रारम्भ कर दिया गया । अकबर और जहांगीर ने खुर्रम की शिक्षा में विशेष रुचि लेते हुए उसे ईरानी विद्वान मुल्ला कासिम बेग तबरेजी से प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करवायी । अन्य अध्यापकों में हकीम अली, शेख सूफी, तारतार खां थे । खुर्रम कुशाग्र बुद्धि वाला राजकुमार था । उसे नीरमुराद जुबैनी ने धनुर्विद्या और राजा शालिवाहन ने घुड़सवारी तथा गोली चालन की शिक्षा दी ।शाहजहां का प्रथम विवाह ईरान के शाही वंशज मिर्जा मुजफ्फर हुसैन की पुत्री सफवी से 20 अक्तूबर 1610 को हुआ, जिससे उसे 1611 को एक कन्या परहेज बानू उत्पन्न हुई । शाहजहां का दूसरा विवाह 1612 में 20 वर्ष की अवस्था में आसिफ खां की पुत्री अर्जुमंदबानू उर्फ मुमताज महल से हुआ, जिससे उसे 14 सन्तानें थीं ।

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