शोक की घड़ी में धनी व्यक्ति के साथ समाज भी उसके शोक में द्रवित होता है, जबकि
निर्धन पर कटाक्ष किए जाते हैं, ऐसा क्यों?
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दुःख की अनुभूति समाज का प्रत्येक वर्ग करता है परन्तु दुःख मनाने का अधिकार सबको नहीं है वह केवल सम्पन्न वर्ग को ही प्राप्त है क्योंकि उसके पास शोक मनाने के लिए सहूलियत भी है और समय भी। गरीब वर्ग की विवशता न तो उन्हें दुःख मनाने की सुविधा प्रदान करती है न अधिकार।
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