शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और... दु:खी होने का भी
एक अधिकार होता है।
प्रश्न-अभ्यास
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
2 खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?
3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
4. उस स्त्री के लड़के को मृत्यु का कारण क्या था?
5. बुड़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?
2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
5. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?
6. बुड़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की सभ्रात महिला की याद क्यों
आई?
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या क्या कह रहे थे? अपने शब्दों
में लिखिए।
2 पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
4. लेखक ने बुढ़िया के दु:ख का अंदाजा कैसे लगाया?
5.
इस पाठ का शीर्षक 'दुःख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
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- किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें उसके अधिकार और दर्जे का पता चलता है
- खरबूजे बेचने वाली स्त्री का बेटा उसी दिन मारा था वह दुकान पर बैठने के बाद भी सुबह-सुबह कर रो रही थी इसलिए उसके कर मुझे कोई नहीं खरीद रहा था
- उस स्त्री को देखकर लेखक को अपने अंदर व्यथा का अनुभव हुआ और वह उसके रोने का कारण जानने का उपाय सोचने लगा
- स्त्री के लड़की की मृत्यु का कारण सांप का काटना था
- गुड़िया का कमाने वाला लड़का सांप काटने से मर गया था अतः हाउस से पैसे वापस ना मिलने की आशंका के कारण उसे कोई उधार नहीं देता था
(क)
- मनुष्य के जीवन में पोशाक का बहुत बड़ा महत्व है मनुष्य अपनी पोशाकों के अनुसार समाज के विभिन्न इस वीडियो में बैठे होते हैं पोशाक उनके द्वारा समाज में मनुष्य और अधिकार और उसका दर्जा निश्चित होता है यह लोगों के बारे में जानने का रास्ता भी है
- जब हम समाज के निकले स्तरीय शिर्डी की अनुभूति के बारे में जानने का प्रयास करते हैं तब पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है
- लेखक की पोशाक समाज में बड़े सर को बताती है उसे लगता है कि फुटपाथ के पास उसकी समीप बैठने में उसकी पोशाक अड़चन बन रही है इसी कारण वह उस स्त्री के रोने का कारण नहीं जान पाया
- भगवान अपने परिवार का निर्वाह सड़क के किनारे फुटपाथ पर खरबूजे बेचकर करता था इसके लिए वह शहर के पास डेढ़ बीघा भर जमीन में खेती करता था
- बुड़िया के घर में खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं था भगवाना को बचाने में घर के छोटे-मोटे जीवन भी बिक चुके थे भूख से बिलबिला ते बच्चों को देखकर ही बुढ़िया दूसरे ही दिन खरबूजे बेचने पड़ी
- लेखक ने बुढ़िया के पुत्र अशोक को देखा उसने अनुभव किया कि इस बेचारी के पास सोने धोने का भी समय और अधिकार नहीं है तभी उसकी तुलना में उसे अपने पड़ोस की सा बरात महिला की याद आ गई वह महिला पुत्र शोक में ढाई महीने तक पलंग पर पड़ी रही थी
ख)
- बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें बना रहे थे कोई उसे बेहया कह रहा था किसी ने कहा कि उसे स्त्री की नियत ही ठीक नहीं है उसके लिए रोटी का टुकड़ा ही सब कुछ है इसके लिए खसम लुगाई धर्म ईमान बेटा बेटी कुछ नहीं है यह एक आदमी ने कहा था एक लाला जी ने कहा था कि औरत और उनका धर्म ईमान बिगाड़ कर अंधेर मचा रही है पुरुषों के कार्य सूतक में है इसलिए उसके इन दिनों में कोई नहीं छूना चाहिए
- पास पड़ोस की दुकानों पर पूछने के बाद लेखक को गुड़िया की वास्तविकता का पता चलता है बुढ़िया का 23 साल का लड़का था घर में उसकी बहू और पोता पोती थे एक सुबह खेत में खरबूजा चुनते समय उसके पैर में सांप ने काट लिया बहुत प्रयत्न के बाद भी लड़का मर गया
- लड़की को बचाने के लिए बुढ़िया मां ने वह सब कुछ किया तत्वों के प्रतीक नाग देवता की पूजा हुई बेटा के दुख पूजा के लिए दान दक्षिणा दिया बेटे के दुख में पागल हो गुड़िया ओझा को बुला ले ओ जाने जाना पूछना किया इस दान दक्षिणा में उसने घर में बचा कुचा सामान भी खत्म हो गया
- लेखक बुढ़िया के दुख का अंदाजा लगाने के लिए अपने पड़ोस में पिछले साल हुई दुर्घटना के बारे में सोचने लगा पड़ोस में अपने पुत्र की मृत्यु से एक माता बुरी तरह से दुखी हुई थी वह धनी और सब रात भर की महिला थी पुत्र वियोग में वह इस्त्री लड़ाई मां तक बीमार रही उसे बार-बार मोर्चा यानी बेहोशी आ जाती थी धन के बल पर दो-दो डॉक्टर उसके पास रहते थे इस तरह वह मां के हृदय को समझ रहा था
- अमीर हो या गरीब दुख की अनुभूति सबको समान रूप से होती है इस कहानी में गरीब बुढ़िया उतनी ही दुखी है जितना लेखक के पड़ोस वाली धनी मासिक धर्म के कारण पड़े उसकी धनी महिला को अपना दुख मनाने का पूरा अवसर मिला उसे दुख में डूबे रहने से किसी को भूखे पेट सोना नहीं पड़ता था गरीब बुढ़िया अपने अपार दुख के कारण ही मर रो रथी
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प्रश्न 3.
शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और ……….. दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर:
जब किसी गरीब और विवश व्यक्ति के घर में भूख से रोते-बिलखते बच्चे, भूखी और बीमार कोई अन्य सदस्य हो तो शोक मनाने की बात कैसे सोची जा सकती है, शोक कैसे मनाया जा सकता है। उन रोते बिलखते बच्चों के लिए रोटी और बीमार सदस्य की दवा का प्रबंध होना आवश्यक है। ऐसा करने के कारण गरीब व्यक्ति को शोक मनाने की सुविधा भी नहीं। ऐसे में वह क्या करे। दुखी होने का अधिकार भी उन्हीं लोगों के पास है जिनके पास धन-दौलत और तरह-तरह की सुविधाएँ हैं।
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