'शिकारी' शब्द का मूल शब्द और प्रत्यय है
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Answer: शिकार+ई
शिकारी शब्द में शिकार मूलशब्द तथा ई प्रत्यय हैं।
Explanation: प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है ‘साथ में, पर बाद में" और अय का अर्थ होता है "चलने वाला", अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण (स्वर) में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।
जैसे :- शिकार+ई = शिकारी
समाज + इक = सामाजिक
सुगंध +इत = सुगंधित
भूलना +अक्कड = भुलक्कड
मीठा +आस = मिठास
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#SPJ1
Answer:
शिकारी शब्द में शिकार मूलशब्द तथा ई प्रत्यय हैं।
Explanation:
शिकारी शब्द में शिकार मूलशब्द तथा ई प्रत्यय हैं।
प्रत्यय की परिभाषा --- जो शब्दांश किसी शब्द के पीछे जुड़कर नया शब्द बनाता हैं और मूल शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देता है, उसे प्रत्यय कहते हैं।
अथवा
प्रत्यय वह शब्दांश है, जो किसी धातु या अन्य शब्द के अंत में जुड़कर एक नया शब्द बनाता है।
जैसे --
लड़ (धातु) + आका (प्रत्यय) = लड़ाका।
मनुष्य (संज्ञा) + ता (प्रत्यय) = मनुष्यता।
पागल (विशेषण) + पन (प्रत्यय) = पागलपन।
स्पष्ट है कि 'प्रत्यय' धातु (क्रिया) या अन्य (संज्ञा, विशेषण आदि) शब्दों में जुड़ते हैं और फिर नये-नये शब्दों की रचना करते हैं। उपसर्ग और प्रत्यय में यही अंतर है कि जहाँ उपसर्ग शब्द के शुरू में जुड़ते हैं, वहाँ प्रत्यय शब्द के अंत में।
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