शिक्षा एवं खेलों में संतुलन की आवश्यकता के विषय पर 100 से डेढ़ सौ शब्दों तक अनु छेद
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बच्चों के लिए शिक्षा में खेल दोनों ही जरूरी है इन दोनों में संतुलन बनाना बहुत आवश्यक हैअगर एक बच्चा शिक्षा के पीछे लग जाए तो वे खेल में पीछे रह जाता है और इससे उसकी शारीरिक व्यवस्था खराब हो जाती है और अगर एक बच्चा खेल के प्रति ज्यादा उत्सुक हो जाए तो वह शिक्षा में पीछे रह जाता जिससे उसकी दिमागी क्षमता भी कम हो जाती है इसलिए बच्चों के लिए दोनों शिक्षा व खेलों का संतुलन जरूरी है बच्चों को शिक्षा प्रतियोगिता व खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहिए इससे उनकी शारीरिक व्यवस्था दिमाग शरीर ताजा रहता है खेलने से बच्चों का दिमाग भी ज्यादा बढ़ता है इसलिए बच्चों को हर एक तरह के खेल खेलने चाहिए वह हर तरह की पढ़ाई भी करनी चाहिए
खेल हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा है। स्वस्थ शरीर और दिमाग काे विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जाे हमारे शारीरिक के साथ मानसिक विकास में मदद करते हैं। लगातार पढ़ाई के दौरान कई बार तनाव की स्थिति होती है। ऐसे में खेल इस तनाव को दूर करने का बेहतर माध्यम है। हमारे देश में खेलों को उतनी प्राथमिकता नहीं मिलती, जितनी शिक्षा को दी जाती है। जिस तरह दिमाग का सही विकास के लिए शिक्षा जरूरी है, उसी तरह शारीरिक विकास के लिए खेल महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा के माध्यम से हम टीम भावना नहीं सीख सकते, लेकिन खेल से यह संभव है।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि कई स्कूलों में शिक्षा पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है लेकिन खेलों पर नहीं। कुछ स्कूल तो ऐसे हैं जहां खेल सीमित ही होते हैं। ऐसे में अभिभावक की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उन्हें अपने स्तर पर ही बच्चों को खेल से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। एेसे में जरूरत है हमें पढ़ाई के बराबर खेलों को महत्व देना चाहिए। स्कूल में खेलों को बढ़ावा देने के लिए इसे रेगुलर सब्जेक्ट की तरह नियमित एक्टिविटी करानी चाहिए।
नजरअंदाज नहीं कर सकते
खेल से शरीर फिट होता है।
इससे टीमवर्क और लीडरशिप की भावना बढ़ती है।
खेल से तनाव का स्तर कम होता है और लेखन-पढ़ाई बेहतर होती है
खेल के माध्यम से नीरस जीवन में ऊर्जा का संचार होता है।
वर्तमान में स्पोर्ट्स में बेहतर जॉब के अवसर मिल रहे हैं।