शिक्षा जीवन का आधार इसके बिना है सब बेकार स्पेशली संस्कृत
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शिक्षा जीवन का आधार इसके बिना है सब बेकार...
शिक्षा जीवन का आधार है, इसके बिना सब बेकार है क्योंकि शिक्षा ही मनुष्य को समर्थ बनाती है। बिना शिक्षा के मनुष्य एक पशु के समान है। शिक्षा ही मनुष्य के अंदर संस्कार और व्यवहार पैदा करती है, आचरण विकसित करती है। शिक्षा मनुष्य के अंदर योग्यता भरती है, जिससे मनुष्य इस संसार में अपनी जीवन यापन करने योग्य बन पाता है।
शिक्षा के अनेक रूप हो सकते हैं चाहे व्यवहारिक शिक्षा हो, नैतिक शिक्षा हो, व्यवसायिक शिक्षा हो, हर तरह की शिक्षा उपयोगी होती है। व्यवहारिक शिक्षा जीवन के नित्यप्रति अनुभवों से प्राप्त होती है, जो जीवन भर जारी रहती है। नैतिक शिक्षा अच्छी सत्संग और अच्छे-अच्छे साहित्य पढ़ने से प्राप्त होती है। व्यवसायिक शिक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण लेना पड़ता है।
विद्यालय या गुरुकुल आदि में मिलने वाली शिक्षा पारंपरिक शिक्षा है, जो हर मनुष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस पारंपरिक शिक्षा में तीनों तरह की शिक्षाएं आ जाती हैं।
शिक्षा से ही मनुष्य संस्कारवान बनता है, उसके अंदर ऐसे गुण विकसित करती है, जो उसे संसार अन्य प्राणियों यानि पशुओं आदि से भिन्न बनाती है। शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य सही अर्थो में मनुष्य बनता हैं। इसलिये शिक्षा जीवन का आधार है और शिक्षा के बिना मनुष्य बेकार है, इस कथन में कोई भी अतिशयोक्ति नहीं है।