Hindi, asked by sharmaabhishek9828, 8 months ago

शिक्षा के गिरते हुए स्तर पर संवाद​

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Answered by manidevansh3000
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Answer:

आज जिस नव भारत की परिकल्पना की आस कर रहें हैं वो बिना गुणवत्तापूर्ण सुलभ शिक्षा के कतई सम्भव नहीं है ।भारतीय संविधान की 86 वां संविधान संशोधन - 2002 (मौलिक अधिकार) के तहत हर वर्ग के बच्चों को अनिवार्य , गुणवत्तापूर्ण ,निःशुल्क शिक्षा देने और प्रत्येक शिक्षक पर 30 छात्रों को निर्धारित की जाने की प्रावधान की गई है ।संविधान के अनुच्छेद 21 A (भाग - 3)में गरीब बच्चों को 25% आरक्षण देने की कानून बनाई गई है ।अनुच्छेद - 24 के तहत 14 वर्ष तक के बच्चों को चोखिम भरे कार्य करवाने पर रोक का प्रावधान किया गया ।जो आज केवल नियम मात्र कथन बनकर रह गया है ।आज शिक्षा का निम्न स्तर पर पहुँच जाना ना केवल सरकार बल्कि समाज भी इसके लिए जिम्मेदार है ।आज बच्चों से जीविकोपार्जन के लिए काम में लगाया जा रहा है ।बिहार समेत कई राज्यों में सुयोग्य शिक्षक नहीं है जिसका असर ये है कि ग्रामीण लोगों की योग्य शिक्षक के रहने के बाबजूद भी खासा शिक्षा के प्रति लगाव नहीं दिखते ।कहावत है - एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गंदी कर देती है ।कुछ सुयोग्य शिक्षक अपने शिक्षण कार्यों को नई आयाम , नई बुलंदी , नई पहचान और भावी पीढ़ी को सजोने , सुनहरे बनाने के लिए जद्दोजहद करती भी है ।तो उन्हें कई तरह की परेशानीयों में सबसे प्रमुख समाज का बदला नजरिया बाधक बन जाता है ।

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