Hindi, asked by sahilkansal3300, 30 days ago

शिक्षा का गिरता स्तर । 100 words in अनुच्छेद लेखन​

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Answered by nvraj9835
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Answer:

“तुम्हारी शिक्षा सर्वथा बेकार है, यदि उसका निर्माण सत्य एवं पवित्रता की नींव पर नहीं हुआ है। यदि तुम अपने जीवन की पवित्रता के बारे में सजग नहीं हुए तो सब व्यर्थ है। भले ही तुम महान् विद्वान् ही क्यों न हो जाओ।”

Explanation:

शिक्षा का वास्तविक अर्थ है–मनुष्य का सर्वांगीण विकास। मात्र पुस्तकीय ज्ञान अथवा साक्षरता शिक्षा नहीं है। यह तो शिक्षारूपी महल तक पहुँचने का एक सोपानभर है। प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री पेस्टालॉजी के अनुसार–“शिक्षा हमारी अन्तःशक्तियों का विकास है।” स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में–”मनुष्य में अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।”

महात्मा गांधी का विचार है–“शिक्षा से मेरा अभिप्रायः बालक या मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क या आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्तम विकास से है।” वास्तव में श्रेष्ठ शिक्षा वही है, जो मनुष्य की अन्तर्निहित शक्तियों के विकास के साथ–साथ उसमें जीवन मूल्यों की भी स्थापना करे और फिर उसका सर्वांगीण उन्नयन करे।इस प्रकार शिक्षा का स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है, जिसके लिए हम सभी को अत्यन्त सजग होने की आवश्यकता है।

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