Hindi, asked by akshitasingh4169, 3 days ago

शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए पर वाद विवाद (पक्ष में) .. i want in favour... please​

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Answered by angelvirose
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वक्ताओं ने मातृभाषा के विपक्ष में कहा- केवल मातृभाषा में शिक्षा देने से वैश्विक स्तर संवाद स्थापित करने बाधा उत्पन्न होगी, आज के युवा दुनिया के सामने बहुत पीछे रह जाएंगे। तकनीकी युग में विदेशी भाषाओं के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने से वैश्विक स्तर पर रचनात्मक कार्य व रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

Answered by s9b1544pintu6307
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भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम ही नहीं, वरन किसी भी राष्ट्र के स्वाभिमान तथा उसकी प्राचीन संस्कृति की संवाहिका भी होती है। गुलाम देशों की अपनी कोई भाषा नहीं होती। वे अपने शासकों की बोली बोलने को मजबूर होते हैं। भाषा के बिना देश गूंगा होता है। दुनिया के सभी विकसित देशों ने अपनी मातृभाषा को ही सर्वोच्च महत्व दिया। इसी को अपने देश की शिक्षा का माध्यम बनाया। रूस, चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस ने अपनी मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाया। लेकिन भारत में अंग्रेजी को चलाये रखने के कारण स्थानीय भाषाओं का महत्व कम हुआ। अंग्रेजी सीखना अनुचित नहीं है, लेकिन उसे मातृभाषा से ऊपर स्थान देना अनुचित है। आज भारत के करोड़ों लोगों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण देना उन्हें गुलामी में डालने जैसा है. मैकाले ने जिस शिक्षण पद्धति की नींव डाली, वह सचमुच गुलामी की नींव थी, उसका एक ही इरादा था भारतीयों को गुलाम बनाना है तो सबसे पहले इनकी शिक्षा पद्धति को गुलाम बना डालो। फिर ये शरीर से तो हिंदुस्तानी लगेंगे और मानसिक रूप से ये अंग्रेजों के गुलाम बने रहेंगे। आज हम स्वराज्य व आत्मनिर्भरता की बात भी पराई भाषा में करते हैं, यह कैसी बिडंबना है।

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