शिक्षा का माध्यम मातृभाषा पर अनुच्छेद
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शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य होता है-सिखाना, विकास करना। शिक्षा का यह उद्देश्य हो सकता है, जब वह उस भाषा में दी जाये, जिसे बालक आरम्भ से ही समझता हो। इस दृष्टि से मातृभाषा में दी गई शिक्षा अधिक उपयोगी हो सकती है। बालक अपने माता-पिता के मुख से सुनकर अनुकरण द्वारा जिस भाषा को सीखता है वह उसकी मातृभाषा होती है। वह उसके घर में बोली जाती है और विद्यालय में जाने से पहले ही बालक अपनी इसी भाषा में बातचीत करना सीख लेता है। अपनी आवश्यकता पूर्ति और सामान्य व्यवहार चलाने के लिए भी वह इसी भाषा का प्रयोग करता है।
शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य होता है-सिखाना, विकास करना। शिक्षा का यह उद्देश्य हो सकता है, जब वह उस भाषा में दी जाये, जिसे बालक आरम्भ से ही समझता हो। इस दृष्टि से मातृभाषा में दी गई शिक्षा अधिक उपयोगी हो सकती है। बालक अपने माता-पिता के मुख से सुनकर अनुकरण द्वारा जिस भाषा को सीखता है वह उसकी मातृभाषा होती है। वह उसके घर में बोली जाती है और विद्यालय में जाने से पहले ही बालक अपनी इसी भाषा में बातचीत करना सीख लेता है। अपनी आवश्यकता पूर्ति और सामान्य व्यवहार चलाने के लिए भी वह इसी भाषा का प्रयोग करता है।प्राय:किमी वर्ग-विशेष, समाज-विशेष या प्रदेश-विशेष में बोली जाने वाली भाषा उसके सदस्यों की मातभाषा होती है। वे घर में, घर के बाहर, मित्रों में विद्यालय में और निकटवर्ती समाज में इसी भाषा का प्रयोग करते हैं। कई शिक्षा-शास्त्रियों के मत में मातृभाषा के माध्यम से बालक को शिक्षा देना सुलभ और सुगम होता है। बालक उस भाषा के घरेलू और व्याकरण-बन्धन से रहित रूप से पहले ही परिचित होता है। विद्यालय में केवल उस कीलिपि, व्याकरण तथा साहित्यिक रूप सिखाने से वह उसे शीघ्र हृदयंगम कर सकता है। ऐसी भाषा के माध्यम से वह अन्य विषयों को भी शीघ्र ही पढ़-लिख कर उनमें समुचित ज्ञान सरलता से हासिल कर सकता है। इन्हीं कारणों से इस अर्थात् मातृभाषा में शिक्षा की बात कही जाती है।