Hindi, asked by neetusingh06079, 9 months ago

शिक्षा के साथ-साथ खेलों के महत्व बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखो​

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Answered by adityachoudhary2956
6

१३५ विकासनगर,

नयी दिल्ली - ७५

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दिनांकः ३०/०९/२०१७

प्रिय मित्र रजनीश

सप्रेम नमस्कार,

मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और भगवान से तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ . कल ही मुझे तुम्हारे बड़े भाई का पत्र मिला ,जिसे पढ़कर मुझे बहुत दुःख हुआ कि तुम गलत संगती में पड़कर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हो .तुम्हारे लिए यह समय अमूल्य है . इसको यदि गलत तरीके से बर्बाद कर दोगे ,तो जीवन में कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकोगे . तुम्हारे माता पिता को तुमसे बड़ी बड़ी आशाएँ हैं ,उन्हें पूरा करना तुम्हारा कर्तव्य है . अतः आशा है कि तुम मेरी बात को गंभीरता को समझते हुए अच्छे मित्रों की संगती करोगे . अपने माता पिता को मेरा चरण स्पर्श कहना .

तुम्हारा मित्र

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❤❤ I hope it's helpful ❤❤

❤❤good day❤❤

Answered by Anonymous
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Explanation:

पिछले दिनों घर से माताजी का पत्र आया था कि तुम्हारा स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है, यह पढ़कर मुझे बहुत चिंता हुई। भाई! स्वास्थ्य संसार की सबसे बड़ी नेमत है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। माताजी ने लिखा था कि तुम अपनी पढ़ाई-लिखाई में इतना ध्यान देते हो कि तुम्हें खाने-पीने और विश्राम करने का होश ही नहीं रहता। मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि तुम अपने अध्ययन के प्रति इतने गंभीर हो।

किंतु सौरभ, याद रखो कि एक बीमार राजा होने से एक स्वस्थ मजदूर होना अधिक उत्तम है। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ तुम अपने स्वास्थ्य पर भी समुचित ध्यान दो। इसके लिए सबसे अधिक उपयोगी व्यायाम है। शरीर की दुर्बलता दूर करने के लिए व्यायाम किसी औषधि से भी अधिक उत्तम है। व्यायाम से रक्त संचरण सुचारु रूप से होता है। शरीर सुंदर एवं सहिष्णु बनता है तथा पाचनशक्ति बढ़ जाती है। व्यायाम के साथ-साथ संतुलित आहार-विहार तुम्हें अवश्य स्वस्थब नाएगा। तुममें जीवन उत्साह एवं स्फूर्ति का संचार होगा।

व्यायाम का महत्त्व हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने भी बताया है। अनेक ग्रंथों में लिखा है कि जो व्यक्ति नित्यप्रति समुचित व्यायाम करता है और अपना आहार-विहार संतुलित रूप से रखता है, उसे जीवन में कभी भी बीमारियों का शिकार नहीं होना पड़ता। यदि बीमार व्यक्ति भी नित्य हल्का-फुल्का व्यायाम करे तो वह शीघ्र ही स्वस्थ होकर सबल और पुष्ट हो जाता है। इस प्रकार व्यायाम के इतने लाभ हैं जिन्हें यहाँ लिखना संभव नहीं है।

आशा है, तुम अपने स्वास्थ्य की अपेक्षा करके व्यायाम को अपनी दैनिक दिनचर्या का एक अंग बना लोगे और अपने शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखोगे । घर में सभी को यथायोग्य अभिवादन और स्नेह ।

तुम्हारा शुभाकांक्षी

शरद

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