Hindi, asked by varun1369, 1 year ago

शिक्षा में सदाचार पर अनुच्छेद.

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Answered by MissGulabo
47

Heya! Here is your answer!

सदाचार शब्द ‘सत् + आचार’ से मिलकर बना है । सदाचार और शिष्टाचार में अन्तर है । सदाचार चरित्र की पवित्रता को और शिष्टाचार व्यवहारिक कुशलता को प्रकट करता है ।

मनुष्य की मनुष्यता उसके चरित्र में निहित होती है । चरित्रहीन व्यक्ति को हमारे समाज में पशु भी कहा गया है । सदाचार के गुणों का विकास करने के लिए माता, पिता और गुरुजनों को बचपन से ही ध्यान देना चाहिए । जैसे माली पौधों को स्वस्थ रखने के लिए पानी, खाद डालता है, उसके आस-पास की घास और गंदगी को साफ करता है, सूखे पत्तों और टहनियों को काट कर फेंकता है उसी प्रकार बालक में भी अच्छी आदतों का विकास कर उन्हें शिष्ट बालक बनाना चाहिए जिस से आगे चलकर राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल हो ।

दुष्ट व्यक्ति भी अपनी व्यवहार कुशलता से शिष्ट प्रतीत हो सकता है । लेकिन कभी-कभी ऋषि भी अपने क्रोध के कारण अपनी शिष्ट मर्यादा का उल्लंघन कर जाते हैं जैसे दुर्वासा ऋषि ने सोच में डूबी हुई शकुन्तला को शाप दे डाला, परशुराम ने क्रोध में आकर इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रिय से रहित कर दिया ।

अपने दुराचार के कारण इन्द्र महर्षि गौतम के कोप भाजन बने और उनकी पत्नी अहिल्या पाषाण प्रतिमा बनी, जिसका बाद में भगवान राम ने उद्धार किया । सदाचार की रक्षा करने के कारण युधिष्ठिर धर्मराज कहलाए । सत्य का निर्वाह करने के कारण हरिश्चन्द्र ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ कहलाए ।

सदाचार के द्वारा ही व्यक्ति महान् बनता है । विश्व में प्रसिद्धि पाने वाले जितने भी महापुरुष हुए उन्होंने सदाचार का ही पालन किया था । जैसे- गुरू नानक, संत कबीर, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामदास, संत तुकाराम आदि ।

आधुनिक काल में मोरारजी देसाई, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, जय प्रकाश नारायण, जवाहर लाल नेहरू आदि नेताओं ने अपने सदाचार के कारण ही बड़े-बड़े आन्दोलनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया ।

विशाल जन समूह उनके पीछे ऐसे चलता था जैस बांध को तोड़कर जल बहा चला जाता है और किसी के रोके नहीं रुकता । आज भी टी॰एन॰ शेषन और किरण बेदी ने अपनी सच्चरित्रता के कारण अपनी एक अलग छवि का निर्माण किया है । उनके समक्ष यह शासन वर्ग पंगु जान पड़ता है ।


varun1369: my topic is not सदाचार, it's शिक्षा में सदाचार.....
varun1369: answer accordingly....
Answered by aryankunalroy38
10

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अच्छे' एवं 'बुरे' इरादों, निर्णयों एवं कार्यों में अंतर करना सदाचार (Morality) कहलाता है। हिंदी में 'मोरैलिटी' के लिए 'नैतिकता' शब्द का भी प्रयोग किया जाता है किंंतु सदाचार इसके लिए अधिक उपयुक्त शब्द है।

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