Hindi, asked by surajyadav89534651, 3 months ago


शिक्षा और अन्तर्राष्ट्रीय पर टिप्पणी लिखिए।​

Answers

Answered by sabaparveen180296
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Explanation:

अंतर्राष्ट्रीय सदभावना का अर्थ

अंतर्राष्ट्रीय सदभावना का अर्थ है-विश्व-नागरिकता। यह भावना इस बात पर बल देती है कि संसार के प्रत्येक मानव में भाई-चारे के सम्बन्ध हों तथा वसुधा एक कुटुम्ब के सामान प्रतीत हो। इस दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय सदभावना, विश्व मैत्री तथा विश्व-बन्धुत्त्व की भावना पर आधारित होते हुए मानव के कल्याण पर बल देती है। दूसरे शब्दों में, अंतर्राष्ट्रीय सदभावना विश्व के समस्त राष्ट्रों तथा उनके नागरिकों के प्रति प्रेम, सहानभूति तथा सहयोग की ओर संकेत करती है।

अंतर्राष्ट्रीय सदभावना की परिभाषा

अंतर्राष्ट्रीय सदभावना के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम निम्नलिखित परिभाषायें दे रहे हैं –

(1) डॉक्टर वाल्टर एच० सी० लेव्स- अंतर्राष्ट्रीय सदभावना इस ओर ध्यान दिये बिना कि व्यक्ति किस राष्ट्रीयता या संस्कृति के हैं, एक-दूसरे के प्रति सब जगह उनके व्यवहार का आलोचनात्मक और निष्पक्ष रूप से निरिक्षण करने और आंकने की योग्यता है। ऐसा करने के लिए व्यक्ति को इस योग्य होना चाहिये कि वह सब राष्ट्रीयताओं, संस्कृतियों तथा प्रजातियों को इस भूमंडल पर रहने वाले लोगों की समान रूप से महत्वपूर्ण विभिन्नताओं के रूप में निरिक्षण कर सके।

(2) ओलिवर गोल्डस्मिथ- अंतर्राष्ट्रीयता एक भावना है, जो व्यक्ति को यह बताती है कि वह अपने राज्य का ही सदस्य नहीं है वरन विश्व का नागरिक भी है।

अंतर्राष्ट्रीय सदभावना की आवश्यकता

गत सौ वर्षों के इतिहास पर दृष्टिपात करने से पता चलता है कि संसार के अनके महत्वाकांक्षी राष्ट्रों ने अपने नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना को विकसति करने के लिए शिक्षा की व्यवस्था अपने-अपने निजी ढंगों से की है। इन राष्ट्रों में बालकों को आरम्भ से ही इस बात की शिक्षा दी जाती थी कि- हमारा देश अच्छा अथवा बुरा। अथवा हमारा देश अन्य देशों में श्रेष्टतम है।- इस प्रकार ही शिक्षा प्राप्त करके बालकों में संकुचित राष्ट्रीयता की भावना विकसित हो गई जिसके परिणामस्वरुप विश्व में दो महायुद्ध हुए और आज भी तीसरे महायुद्ध के बदल आकाश में मंडरा रहे हैं। चूँकि युक्त दोनों महायुद्धों के कारण मानव के मानवीय तथा राजनितिक अधिकारों का हनन ही नहीं हुआ अपितु उसे विभिन्न अत्याचारों को भी सहना पड़ा, इसलिए अब संसार के सभी कर्णाधार इस बात का अनुभव करने लगे है कि संकुचती राष्ट्रीयता की अपेक्षा अंतर्राष्ट्रीय सदभावना का विकास किया जाये जिससे संसार में समस्त नागरिकों में परस्पर दोष, घ्रणा ईर्ष्या तथा लम्पटता के स्थान पर प्रेम सहानुभूति , उदारता तथा सदभावना विकसित हो जायें और संसार में सुख शान्ति तथा स्वतंत्रता एवं समानता बनी रहे। रोमा रोला ने इस तथ्य की पुष्टि करते हुए लिखा है – भयंकर विनाशकारी परिणाम वाले दो विश्व-युद्धों ने कम से कम यह सिद्ध कर दिया है की क्षुद्र और आक्रमणकारी राष्ट्रीयता के संकीर्ण बंधनों को तोड़ डालना चाहिये तथा प्रेम, दया एवं सहानभूति पर आधारित मानव सम्बन्धों का विकास करने के लिए मानव जाति के स्वतंत्रता संघ का निर्माण किया जाना चाहिये।

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