शिक्षा पद्य से बच्चे क्या सिख सकते हैं( 15 वाक्य )
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बच्चों के पहले शिक्षक माता-पिता होते हैं- जन्म के बाद शिशु लगातार माता-पिता के साथ रहकर बोलना, खाना, पीना, खेलना, लिखना या अन्य गतिविधियां सम्पन्न करना सीखता है। छोटे बच्चे के लिए यह एक औपचारिक विद्यालय जैसा होता है। इसी तरह बच्चा जब थोड़ा बड़ा या युवा होता है तब वह घर में माता-पिता को एक दूसरे को सहयोग करते देखता है।
बच्चों के साथ समय बिताएं- बच्चे छोटे हों या बड़े, सभी माता-पिता से प्यार चाहते हैं। वास्तव में प्यार एक ऐसी दवा है जो बच्चों के साथ बड़ों की आदतों को भी अच्छा बना सकता है। प्यार बुराईयों को अच्छाई में बदलने की शक्ति रखता है।
बच्चों के दिमाग को पढ़ने की कोशिश करें- सभी बच्चों की प्रकृति एक जैसी नहीं होती, इसलिए बच्चों के सीखने के तौर-तरीकों में अंतर होता है। कुछ बच्चे किसी बात को देखकर ही सीख जाते हैं तो कुछ बच्चे उस बात को स्वयं संपादित कर सीखते हैं। इसलिए अपने बच्चों के मस्तिष्क को पढ़ने की कोशिश करें। यह जानने की कोशिश करें कि आपका बच्चा चीजों को किस तरह से सीखता है।
स्कूल के कार्यों का घर में कराएं अभ्यास- कई शिक्षक ऐसे होते हैं जो बच्चों को खुले दिमाग से सीखने का अवसर देते हैं और माता-पिता को भी यह सलाह देते हैं कि वे बच्चों पर दबाव न डालें। यह एक सही तरीका है। इस प्रक्रिया में आपकी भूमिका एक मार्गदर्शक की तरह होनी चाहिए।
बच्चों की पढ़ाई के समय को करें निर्धारित- बच्चों में पढ़ने की आदत डालें। यदि आपका बच्चा एक अनिच्छुक पाठक है, तो उसे जोर-जोर से पाठ पढ़ने की आदत डालें। इससे यह होगा कि आपका बच्चा क्या पढ़ रहा है इस बात की जानकारी आपको होती रहेगी और दूसरा लाभ यह होगा कि उसे अच्छे साहित्य की संरचना और शब्दावली की जानकारी भी मिलेगी
आपका बच्चा रोज क्या सीखता है?- आपका बच्चा स्कूल जाता है तो यह जरूरी हो जाता है कि आप उसके दैनिक कार्यों पर नजर रखें। आपका बच्चा घर के बाहर क्या सीखता है? किन बच्चों की संगत में रहता है? उन बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है? आपको इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
दुनिया के बारे में बच्चों की सोच क्या है?- बच्चों की उम्र के साथ-साथ दुनिया के बारे में उनकी समझ में बदलाव होता जाता है। इस बदलाव की पूरी जानकारी माता-पिता को होनी आवश्यक है।
अपने बच्चे को सीखने में मदद करें- हर माता-पिता की चाहत होती है कि उसका बच्चा पढ़-लिखकर एक जिम्मेदार व्यक्ति बने। इसके लिए माता-पिता को जिम्मेदारीपूर्ण नेतृत्व प्रदान करना चाहिए। माता-पिता बच्चों को प्रेरणा प्रदान करें।
अपने बच्चे के शेड्यूल को हमेशा व्यस्त न रखें- यदि आप अपने बच्चे को स्कूल की शिक्षा के अतिरिक्त कोई बाहरी शिक्षा प्रदान करना चाहते हैं तो यह ध्यान रखना चाहिए कि यह बच्चे के शेड्यूल में किसी प्रकार का बाधा न डाले। बच्चों का हमेशा व्यस्त रखने से उनकी प्रतिभा प्रभावित होती है। इससे उनकी कार्यप्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
बच्चों को टीवी कम देखने दें- यह हमेशा सलाह दी जाती है कि बच्चों को बहुत अधिक टीवी नहीं देखनी चाहिए। दरअसल इसके कई कारण हैं।
नई चीज सीखें और बच्चों को सिखाएं- बच्चों के रोल मॉडल बनने का यह बहुत ही अच्छा तरीका है। आप भी नई चीजों को सीखने की कोशिश करें।