Hindi, asked by upendra2149, 22 days ago

शिक्षाविदों के अनुसार विद्या दो प्रकार की होती है। प्रथम वह, जो हमें जीवन-यापन के लिए अर्जन करना सिखाती है और द्वितीय वह, जो हमें जीना सिखाती है। इनमें से एक का भी अभाव जीवन को निरर्थक बना देता है। बिना कमाए जीवन-निर्वाह संभव नहीं। कोई भी नहीं चाहेगा कि वह परावलंबी हो-माता-पिता, परिवार के किसी सदस्य, जाति या समाज पर। पहली विद्या से विहीन व्यक्ति का जीवन दूभर हो जाता है, वह दूसरों के लिए भार बन जाता है। साथ ही विद्या के बिना सार्थक जीवन नहीं जिया जा सकता। बहुत अर्जित कर लेनेवाले व्यक्ति का जीवन यदि सुचारु रूप से नहीं चल रहा, उसमें यदि वह जीवन-शक्ति नहीं है, जो उसके अपने जीवन को तो सत्यपथ पर अग्रसर करती ही है, साथ ही वह अपने समाज, जाति एवं राष्ट्र के लिए भी मार्गदर्शन करती है, तो उसका जीवन भी मानव जीवन का अभिधान नहीं पा सकता। वह भारवाही गर्दभ बन जाता है या पूँछ सींगविहीन पशु कहा जाता है। वर्तमान भारत में दूसरी विद्या का प्राय. अभाव दिखाई देता है, परंतु पहली विद्या का रूप भी विकृत ही है, क्योंकि स्कूल कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त करके निकला छात्र न तो जीविकार्जन के योग्य बन पाता है और न ही वह उन संस्कारों से युक्त हो पाता है, जिनसे व्यक्ति कु से सु बनता है, सुशिक्षित, सुसभ्य और सुसंस्कृत कहलाने का अधिकारी होता है। वर्तमान शिक्षा-पद्धति के अंतर्गत हम जो विद्या प्राप्त कर रहे हैं, उसकी विशेषताओं को सर्वथा नकारा भी नहीं जा सकता। यह शिक्षा कुछ सीमा तक हमारे दृष्टिकोण को विकसित भी करती है. हमारी मनीषा को प्रबुद्ध बनाती है तथा भावनाओं को चेतन करती है, किंतु कला, शिल्प, प्रौद्योगिकी आदि की शिक्षा नाममात्र की होने के फलस्वरूप इस देश के स्नातक के लिए जीविकार्जन टेढ़ी खीर बन जाता है और बृहस्पति बना युवक नौकरी की तलाश में अर्जियाँ लिखने में ही अपने जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद कर लेता है। जीवन के सर्वागीण विकास को ध्यान में रखते हुए यदि शिक्षा के क्रमिक सोपानों पर विचार किया जाए, तो भारतीय विद्यार्थी को सर्वप्रथम इस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए. जो आवश्यक हो, दूसरी जो उपयोगी हो और तीसरी जो हमारे जीवन को परिष्कृत एवं अलंकृत करती हो। ये तीनों सीढ़ियाँ एक के बाद एक आती हैं, इनमें व्यतिक्रम नहीं होना चाहिए। इस क्रम में व्याघात आ जाने से मानव-जीवन का चारु प्रासाद खड़ा करना असंभव है। यह तो भवन की छत बनाकर नींव बनाने के सदृश है। वर्तम


प्रश्नः1. व्यक्ति किस परिस्थिति में मानव-जीवन की उपाधि नहीं पा सकता ?
प्रश्नः2. विद्या के कौन-से दो रूप बताए गए हैं?
प्रश्नः3. वर्तमान शिक्षा पद्धति के लाभ व हानि बताइए।
प्रश्नः4. विद्याहीन व्यक्ति की समाज में क्या दशा होती है?
प्रश्नः5. शिक्षा के क्रमिक सोपान कौन-कौन-से हैं?
प्रश्न 6. शिक्षित युवकों को अपना बहुमूल्य समय क्यों बर्बाद करना पड़ता है?

Answers

Answered by amarjeetsingh3578847
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Observe the given number line and find which of the following is greatest? *

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