Hindi, asked by sabihagora, 4 months ago

शिक्षक की आत्मकथा send please i want write it fast ​

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Answered by sukhdevmishra
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Answer:

एक शिक्षक की आत्मकथा: मै सम्मान के लायक नहीं हूं।मैंने किसी पीढ़ी का निर्माण नहीं किया।मै राष्ट्र निर्माण नहीं कर सका,क्यूंकि राष्ट्र को नष्ट करने वाले मुझसे ज्यादा ताकतवर हैं।

अपने छात्रों का चरित्र निर्माण भी नहीं कर सका। मैं अपने कई छात्रों को जनता हूं जो दो नंबरी धंधे वाले हैं या घूसखोर सरकारी कर्मचारी हैं।मेरे सभी छात्र चरित्रहीन और भ्रष्ट निकले।जिस व्यवस्था में बेईमानी उत्तम गुण मां लिया हो उसमें आचार्य बृहस्पति भी उन्हें ईमानदार नहीं बना सकते आप बड़े बड़े लोग भी ईमानदार कतई नहीं बने। अगर ईमानदार बन जाए तो धंधा चौपट हो जाएगा,प्रैक्टिस कम हो जाएगी ,घूस का धन चला जाएगा।

ईमानदारी और चरित्र की व्यवस्था में कोई जरूरत नहीं। आप एक पर्व का निर्वाह कर रहे हैं।मुझे रिटायर हुए 2 साल हो गए हैं मुझे अभी तक पेंशन मिलना शुरू नहीं हुआ।घूस देनी पड़ती h दफ्तर में।मेरे सम्मान को भाड़ में जाने दे आप लोग। आप बड़े बड़े लोग दबाव डालकर मेरी पेंशन चालू कर दें।

अभी जो मेरी दाईं तरफ शिक्षा विभाग के दूसरे अफसर बैठे हैं उन्होंने मुझे तिलक किया है , उन्हीं के दफ्तर से मेरी पेंशन का आदेश जारी नहीं हुआ अभी तक।

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