Hindi, asked by osezele123456778, 8 months ago

शिक्षक शिक्षा के निजीकरण के गुण एवं दोषों का भारतीय संदर्भ में समझाइए​

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Answered by Vishwaabhi
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वर्तमान समय में लोकतंत्र का निजीकरण अत्यन्त बहुचर्चित विषय है। निजीकरण का अर्थ अनेक प्रकार से व्यक्त किया जाता है। संकुचित दृष्टि से निजीकरण का अभिप्राय सार्वजनिक स्वामित्व के अन्तर्गत कार्यरत उद्योगों में निजी स्वामित्व के प्रवेश से लगाया जाता है। विस्तृत दृष्टि से निजी स्वामित्व के अतिरिक्त (अर्थात् स्वामित्व के परिवर्तन किये बिना भी) सार्वजनिक उद्योगों में निजी प्रबन्ध एवं नियन्त्राण के प्रवेश से लगाया जाता है, निजीकरण की उपुर्यक्त दोनों विचारधाराओं का अध्ययन करने के पश्चात यही अधिक उपयुक्त प्रतीत होता है कि निजीकरण को विस्तृत रूप से ही देखा जाना चाहिए। यह भी सम्भव है कि सार्वजनिक क्षेत्र से निजीक्षेत्र को सम्पत्ति के अधिकारों का हस्तांतरण बिना विक्रय के ही हो जाए। तकनीकी दृष्टि से इसे अधिनियम (Deregulation) कहा जा सकता है जिसका आशय यह है कि जो क्षेत्र अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित थे उनमें अब निजी क्षेत्र के प्रवेश की अनुमति दे दी जायेगी। अन्य स्पष्ट शब्दों में निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत एक नवीन औद्योगिक संस्कृति का विकास होता है - सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र की तरफ कदम बढाया जाना।

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