शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर अनुच्छेद
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हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था के तीन स्तर हैं- प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च। इनमें से प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा स्कूल स्तर पर प्रदान की जाती है, जबकि उच्च शिक्षा कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर दी जाती है।
शिक्षा प्रदाता दो प्रकार के हो सकते हैं- सरकारी और निजी। निजी स्कूल सरकार के आंशिक वित्त पोषण से चलाए जा सकते हैं (जिन्हें एडेड कहा जाता है) और पूर्ण रूप से स्व वित्त पोषित भी हो सकते हैं (जिन्हें अन-एडेड कहा जाता है)। सरकारी स्कूलों की स्थापना और प्रबंधन सरकार करती है। वही इन स्कूलों को अनुदान भी देती है। जब सरकार के पास शिक्षा की सार्वभौमिक सुविधा प्रदान करने के लिए संसाधन सीमित होते हैं तो निजी क्षेत्र की मदद ली जाती है। अधिकतर अर्थव्यवस्थाओं में निजी क्षेत्र लाभ के उद्देश्य से काम करता है। लेकिन जब शिक्षा की बात आती है, तो निजी क्षेत्र से यह अपेक्षा की जाती है कि वह गैर लाभकारी उद्देश्य से कार्य करेगा।[