Hindi, asked by rekhasingh0070, 7 hours ago

शिक्षण संस्थानों के संपूर्ण लाक डाउन की स्थिति में शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु अपने महत्वपूर्ण सुझाव दीजिए ।
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Answered by diptichhetrib
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शामली। कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन के दौरान कई माह तक स्कूल कालेज सभी बंद रहे। बच्चों को शिक्षण कार्य से जोड़े रखने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई। कोरोना काल में प्रयोग के तौर पर शुरू हुई ऑनलाइन शिक्षा का चलन बढ़ा है। जो शिक्षा के क्षेत्र में काफी बेहतर विकल्प बनकर सामने आई।

आज से ठीक एक साल पहले आज के दिन 24 मार्च को जिले में कोरोना का पहला केस मिला था। यह सहारनपुर मंडल में भी पहला केस था। उसी दिन जिले में लॉकडाउन लागू हो गया था। सभी स्कूल-कालेज बंद हो गए थे। बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने पर विकल्प के तौर पर ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था शुरू की गई थी। शिक्षा के क्षेत्र में यह एक तरह से नया प्रयोग था। यह प्रयोग काफी हद तक सफल रहने से ऑनलाइन शिक्षा की नई राह खुली।

कोरोना के केस कम होने पर पिछले साल नवंबर माह में कक्षा नौ से 12 तक की, इस साल 10 फरवरी से कक्षा छह से आठ तक और एक मार्च से कक्षा एक से पांच तक के विद्यालयों में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हुई। इसके बाद भी ऑनलाइन शिक्षा का चलन कम नहीं हुआ। प्राथमिक कक्षाओं से लेकर उच्च शिक्षा, प्रोफेसनल कोर्स और कोचिंग में ऑनलाइन व्यवस्था चल रही है। अब देश के कई राज्यों में फिर से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए शासन के निर्देश पर जिले में एहतियात के तौर पर इंटर तक के सभी स्कूल-कालेजों में 31 जुलाई तक अवकाश घोषित किया है। इस अवधि के दौरान पूर्व में निर्धारित परीक्षाएं ही कराई जाने के निर्देश दिए गए हैं। अगर कोरोना के केस बढ़ने पर स्कूल कालेज बंद होने की स्थिति बनती है तो फिर से ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था ही इसका विकल्प बनेगी।

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ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्किंग बनी बाधा

कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा ही एक मात्र विकल्प रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क न होना बड़ी समस्या के रूप में सामने आया। दूसरी समस्या गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों के सामने आई कि उनके पास स्मार्ट फोन, कंप्यूटर या लैपटॉप जैसी सुविधाओं का अभाव रहा, जिस कारण इन परिवारों के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का शत प्रतिशत लाभ नहीं मिल सका।

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कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने का एक मात्र विकल्प ऑनलाइन शिक्षा रहा है। माध्यमिक विद्यालयों में अधिकतर छात्र-छात्राएं ग्रामीण क्षेत्र से गरीब व मध्यम परिवार से होते हैं। इस कारण कहीं पर नेट वर्किंग तो कहीं पर स्मार्ट फोन आदि की समस्या सामने आई हैं। शिक्षकों की तरफ से बच्चों को ऑनलाइन व्यवस्था के तहत बेहतर शिक्षा देने की कोशिश की गई है। - लोकेंद्र कुमार, प्रधानाचार्य राष्ट्रीय किसान इंटर कालेज शामली।

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