Hindi, asked by ninakumari764, 8 months ago

शिक्षण संस्थाओं की भूमिका पर अनुच्छेद ( लॉकडाउन के रूप में)​

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Answered by shashid394
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Answer:

कोरोना संकट के दौर में शैक्षणिक संस्थानों के आगे जो चुनौती है उसमें ऑनलाइन एक स्वाभाविक विकल्प है. ऐसे समय में विद्यार्थियों से जुड़ना समय की ज़रूरत है, लेकिन इस व्यवस्था को कक्षाओं में आमने-सामने दी जाने वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकल्प बताना भारत के भविष्य के लिए अन्यायपूर्ण है.

शिक्षा अपने मूल में सामाजीकरण की एक प्रक्रिया है. जब-जब समाज का स्वरूप बदला शिक्षा के स्वरूप में भी परिवर्तन की बात हुई. आज कोरोना संकट के दौर में ऑनलाइन शिक्षा के जरिये शिक्षा के स्वरूप में बदलाव का प्रस्ताव नीति निर्धारकों के द्वारा पुरजोर तरीके से रखा जा रहा है.

ऐसे में यह देखना जरूरी है कि समाज की संरचना और उसके उद्देश्य में ऐसा कौन-सा मूलभूत परिवर्तन हो गया है कि इसे अवश्यंभावी बताया जा रहा है. आजादी के बाद स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर आधारित राष्ट्रीयता वाला सार्वभौमिक शिक्षा का मॉडल क्या अब किसी काम के लायक नहीं बचा?

क्या सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक समानता को अर्जित किया जा चुका है ? ऑनलाइन शिक्षा के साथ ही जिस नई शिक्षा नीति को लागू करने की तरफ सरकार बढ़ रही है उससे शिक्षा का कौन सा सामाजीकरण भविष्य का उद्देश्य है?

ऑनलाइन शिक्षा मात्र तकनीक नहीं सामाजीकरण की नई प्रक्रिया है जिसके जरिये सरकार और नीति निर्धारकों की नीति व नीयत को समझा जा सकता है और उसे उसी रूप में देखने की भी जरूरत है.

कोरोना संकट में शारीरिक दूरी बनाए रखकर शिक्षा के लिए तकनीकी का प्रयोग एक बात है. वैसे भी तकनीकी के विकास के साथ ही शिक्षा में भी उसका उपयोग होता रहा है. यह होना जरूरी भी है.

ब्लैकबोर्ड से लेकर स्मार्टबोर्ड तक बदलती तकनीकी का उपयोग क्लासरूम टीचिंग को मजबूत और रुचिकर बनाने के लिए किया जाता था है. लाइब्रेरी का डिजिटल होना उसी प्रक्रिया का एक रूप है.

प्रोफेसरों के व्याख्यान को रिकॉर्ड करना और उन्हें ऑनलाइन उपलब्ध कराना भी तकनीकी का उपयोग करना ही है. इन तकनीकों का उपयोग कर सामाजीकरण की प्रक्रिया को शिक्षा के द्वारा बढ़ाया जाता रहा था.

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Answered by pari200892
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किसी ऐसे संस्थान, जहाँ शिक्षा का आदान प्रदान किया जाता है, को शैक्षिक संस्थान कहा जाता है| उम्र एवं शिक्षा के स्तर के आधार पर शैक्षिक संतानों के भी विभिन्न स्तर होते हैं जो निम्न प्रकार से हैं:

अनुक्रम
संस्थानों के स्तर संपादित करें

आंगनवाडी संपादित करें
आंगनवाडी में छोटे छोटे बच्चों का रख रखाव किया जाता है| वहाँ वे पहली बार सामाजिक संतुलन बनाना एवं दूसरों से मेल जोल बढ़ाना सीखते हैं| प्राथमिक शिक्षा का कुछ अंश बच्चों को यहीं पर दे दिया जाता है|

प्राथमिक विद्यालय संपादित करें
प्रथम कक्षा से पांचवी कक्षा तक की शिक्षा प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत आती है|

माध्यमिक विद्यालय संपादित करें
यहाँ पर शिक्षा प्रथम कक्षा से (अधिकाँश मामलों में छटी कक्षा से ही) आठवीं तक दी जाती है| इस उम्र में बालक भले बुरे की समझ रखने लगते हैं|

उच्च विद्यालय संपादित करें
नौंवी और दसवीं कक्षा की पढ़ाई उच्च शिक्षा के अंतर्गत गिनी जाती है| इस दौर की शिक्षा अधिक तर्क-शुदा होती है तथा बुद्धि का विकास भी इसी दौर में सर्वाधिक होता है|

विद्यालय संपादित करें
मुख्य लेख: विद्यालय
बाहरवीं कक्षा तक की पढाई प्रदान करने वाले विद्यालय अधिकाँश सामान्य विद्यालय कहे जाते हैं|

निम्न महाविद्यालय संपादित करें
कुछ स्थानों पर बाहरवीं कक्षा का प्रावधान ना होकर अधिक विशिष्ट विषयों में शिक्षा प्रदान की जाती है जो उनके महाविद्यालय में वही विषय स्थानांतरित होते हैं| ऐसे शैक्षिक संस्थान 'निम्न महाविद्यालय' कहे जाते हैं|

महाविद्यालय संपादित करें
मुख्य लेख: महाविद्यालय
उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहरवीं के पश्चात जो पढाई होती है वह महाविद्यालय द्वारा ही की जाती है| सभी महाविद्यालय किसी ना किसी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं| जो महाविद्यालय विश्वविद्यालय के अंतर्गत ना आकार अलग हो जाते हैं, उन्हें डीम्ड यूनिवर्सिटी कहा जाता है|

विश्वविद्यालय संपादित करें
मुख्य लेख: विश्वविद्यालय
महाविस्यालों को एक समान स्तर की शिक्षा प्रदान करना एवं मानक नियम लागू करना विश्वविद्यालय का काम होता है|
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