CBSE BOARD XII, asked by parjapatimohit238, 3 months ago

शोक थेरेपी के परिणाम​

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Answered by sanchitashejwal09
27

शॉक थेरेपी साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन का एक अच्छा तरीका साबित नहीं हुआ। इसके कारण पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तहस-नहस हो गयी। रूस का औद्योगिक ढाँचा नष्ट हो गया। लगभग 90% उद्योगो को निजी कंपनियों को बेचा गया इसे “इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल” कहा जाता है।

Answered by pranjalkapote26
2

Answer :

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँ

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँदेश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँदेश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।देश मे निजी स्वामित्व का होना।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँदेश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।देश मे निजी स्वामित्व का होना।राज्य की सम्पदा का निजीकरण होना।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँदेश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।देश मे निजी स्वामित्व का होना।राज्य की सम्पदा का निजीकरण होना।‘सामूहिक फार्म’ को ‘निजी फार्म’ मे बदलना।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँदेश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।देश मे निजी स्वामित्व का होना।राज्य की सम्पदा का निजीकरण होना।‘सामूहिक फार्म’ को ‘निजी फार्म’ मे बदलना।पूंजीवादी पद्धति से खेती करना।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँदेश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।देश मे निजी स्वामित्व का होना।राज्य की सम्पदा का निजीकरण होना।‘सामूहिक फार्म’ को ‘निजी फार्म’ मे बदलना।पूंजीवादी पद्धति से खेती करना।पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाने के लिए वित्तीय खुलापन, मुद्राओ की आपसी परिवर्तनीयता और मुक्त व्यापार की नीति महत्वपूर्ण मानी गयी।

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है ‘आघात पहुँचकर उपचार करना‘।सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशो मे साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर परिवर्तन के मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया।यह थेरेपी विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित थी। विशेषताएँदेश मे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का होना।देश मे निजी स्वामित्व का होना।राज्य की सम्पदा का निजीकरण होना।‘सामूहिक फार्म’ को ‘निजी फार्म’ मे बदलना।पूंजीवादी पद्धति से खेती करना।पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाने के लिए वित्तीय खुलापन, मुद्राओ की आपसी परिवर्तनीयता और मुक्त व्यापार की नीति महत्वपूर्ण मानी गयी।पश्चिमी देशो की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ाव।

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