शॉक थेरेपी के परिणाम explain it
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शॉक थरेपी के परिणम :- - अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई। - रूबल मुद्रा में गिरावट | - सफल घरेलु उत्पाद घटा । समाज कल्याण की पुरानी व्यवस्था नष्ट | आर्थिक असमानता बढ़ी। संस्थानों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर नहीं
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"सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस, पूर्वी यूरोप तथा मध्य एशिया के देशों को साम्य वाद (कम्यूनिज्म) से पूँजीवादी की ओर लाने के लिये एक विशेष प्रकार के माॉडल को अपनाया गया l जिसे ‘शॉक थेरेपी’ (आघात पहुंचाकर उपचार करना) कहा जाता है l
शॉक थेरेपी में राज्यों की सम्पदा के निजीकरण और व्यावसायिक मालिकाना के ढांचे को अपनाया गया । इसके अन्तर्गत पूँजीवादी पद्धति से खेती करना आरंभ किया गया तथा पूर्ण रूप से मुक्त व्यापार पर जोर दिया गया l
1990 में अपनाई गई ‘शॉक थेरेपी’ से जनता को वो लाभ नहीं प्राप्त हुआ, जिसका उससे वादा किया गया था । इस थेरेपी के कारण उस क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई जहां-जहां ये लागू की गयी । लगभग 90% से ज्यादा उद्योगों को निजी कंपनियों को दिया गया जिसके कारण मुद्रा में भारी गिरावट आई और लोगों की जमा पूंजी खत्म होने लगी । समाज कल्याण की पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया । ज्यादातर मध्यमवर्ग पूरी तरह से हाशिये पर आ गया और सारी आर्थिक गतिविधियां एक खास वर्ग के हाथों में चली गई ।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ‘शॉक थेरेपी’ साम्यवाद (कम्यूनिज्म) से पूंजीवाद की तरफ संक्रमण का एक बेहतर तरीका नहीं था क्योंकि सुधार के तरीके को धीरे धीरे लागू किया जाना चाहिए था अचानक जनता पर थोपने से इसके दुष्परिणाम सामने आए "