शिकमी रैयत कौन थे? ये कितने प्रकार के होते थे
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शिकमी रयत से तात्पर्य उन रैयतदारों से होता था जो किसी जमींदार से खेत लेकर अन्य किसी किसान को खेती करने के लिए देते थे। 18वीं-19वीं सदी में शुरुआत में जमींदारों के पास बहुत अधिक भूमि होती थी और सभी पर उनके द्वारा खेती करना संभव नहीं था। इसलिए वह बड़े-बड़े किसानों को पट्टे पर भूमि खेती करने के लिए देते थे। यही किसान छोटे छोटे छोटे छोटे किसानों को खेती करने के लिए भूमि देते थे। यही शिकमी रैयत कहलाते थे।
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sikmi dar kitne parkar ke hote hain
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