शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की - समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर :
आज के समाज को उमा जैसी लड़की की जरूरत है। शंकर जैसे लड़के समाज को किसी भी रुप में ऊंचा बनाने में अपना योगदान नहीं दे सकते। शंकर पढ़ा-लिखा तो जरूर है किंतु वह मानसिक एवं शारीरिक रुप से कमजोर है वह इतना दृढ़ नहीं है कि समाज को एक नई दिशा दे सके। दूसरी और उमा वर्तमान नारी की साक्षात प्रतिमूर्ति है। वह अन्याय का डटकर विरोध करने वाली है। उसमें रूढ़ियों और कुरीतियों से लड़ने की हिम्मत है । वह अन्याय को चुपचाप सहन कर उसे बढ़ावा देने वाली नहीं है। वह लड़का और लड़की के भेदभाव को समाप्त कर देना चाहती हैं। उमा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम है। अतः आज समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
आज के समाज को उमा जैसी लड़की की जरूरत है। शंकर जैसे लड़के समाज को किसी भी रुप में ऊंचा बनाने में अपना योगदान नहीं दे सकते। शंकर पढ़ा-लिखा तो जरूर है किंतु वह मानसिक एवं शारीरिक रुप से कमजोर है वह इतना दृढ़ नहीं है कि समाज को एक नई दिशा दे सके। दूसरी और उमा वर्तमान नारी की साक्षात प्रतिमूर्ति है। वह अन्याय का डटकर विरोध करने वाली है। उसमें रूढ़ियों और कुरीतियों से लड़ने की हिम्मत है । वह अन्याय को चुपचाप सहन कर उसे बढ़ावा देने वाली नहीं है। वह लड़का और लड़की के भेदभाव को समाप्त कर देना चाहती हैं। उमा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम है। अतः आज समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है।
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उत्तर:- समाज में आज उमा जैसे व्यक्तित्व, स्पष्टवादिनी तथा उच्च चरित्र वाली लड़की की ही आवश्यकता है । ऐसी लड़कियाँ ही गोपाल प्रसाद जैसे दोहरी मानसिकता रखने वाले, लालची और ढोंगी लोगों को सबक सिखा सकती है। ऐसी लड़कियों से ही समाज और देश प्रगति कर पाएगा जो आत्मविश्वास से भरी तथा निडर हो।
इसके विपरीत शंकर जैसे लड़के समाज के लिए निरुपयोगी है। शंकर जैसे व्यक्ति समाज को कोई दिशा नहीं प्रदान कर सकते हैं ।
इसके विपरीत शंकर जैसे लड़के समाज के लिए निरुपयोगी है। शंकर जैसे व्यक्ति समाज को कोई दिशा नहीं प्रदान कर सकते हैं ।
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