शंकर ने हलवाई को ₹5 का नोट क्यों दे दिया
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एक गांव में एक बालक रहता थाl उसका नाम शंकर थाl उसमें एक बड़ा गुण थाl वह बहुत ईमानदार थाl वह सदा सच बोलता थाl कभी भी झूठ नहीं बोलता थाl गांव वाले उसे बहुत प्यार करते थेl वह सदा गांव वालों की मदद किया करता थाl
शंकर मेहनत से कभी भी जी न चुराता थाl कड़ी मेहनत करना उसका स्वभाव थाl वह मेहनत कर के ही धन कमाना चाहता थाl वह हर तरह का काम कर सकता थाl
एक दिन वह धन कमाने के लिए गांव से नगर की ओर चल पड़ाl गर्मी का मौसम थाl मार्ग में आमों का एक बड़ा सा बाग थाl वह तेज पैदल चलते-चलते थक गया थाl उसने आम के पेड़ के नीचे कुछ देर आराम कियाl फिर वह नगर की ओर चल दियाl कुछ ही देर में वह नगर में प्रवेश कर चुका थाl वहां उसे कोई नहीं जानता थाl वह नगर में किधर जाएं और कहा काम ढूंढेl कोई भी उसे नौकरी देने को तैयार ना हुआl शंकर भीख मांगना बुरा समझता थाl वह सोच में पड़ गया वहांl कहां जाए और अब क्या करें? परेशान थाl उसने सोचा रात पानी- पी कर ही बिता दूंगाl पास में ही उसे एक हलवाई की दुकान के आगे तखता लगा दिखाई दियाl वह मुस्करा उठाl वे उसी तख्ते पर लेट गयाl गर्मी के दिन थेl वह थका हुआ तो था हीl लेटते ही नींद आ गईl सवेरा हुआ, दिन के उजाले में शंकर के नजर ₹5 के 1 नोट पर जा पड़ीl वह वहीं तख्ते के पास पड़ा थाl उसने न जाने क्या सोचकर वह नोट उठा लियाl अब वह हलवाई की राह देखने लगाl
उसी समय बाद हलवाई वहां आ पहुंचाl उसने अपनी दुकान खोलीl दुकान के और उसने एक बालक को आते देखाl वह बालक शंकर थाl उसके हाथ में ₹5 का नोट थाlशंकर ने ₹5 का नोट दुकान के मालिक के आगे कर दियाl हलवाई ने समझा कि यह बालक सौदा लेना चाहता हैl उसने पूछा......." क्या चाहिए?" कुछ भी तो नहींl यह ₹5 का नोट आपका हैl कल शायद दुकान बंद करते समय तख्ते पर रह गया थाlशंकर मुस्करा कर बोलाl
शंकर की ईमानदारी पर हलवाई बड़ा प्रसन्न हुआl वह उसे एक मेहनती बालक लगाl ईमानदारी तो वह पहले ही सिद्ध कर चुका थाl दुकानदार ने उसे अपनी दुकान पर काम पर रख लियाl शंकर को और भला क्या चाहिए था? वह बड़ा ही पसंद दिख रहा थाl उसे काम मिल गया थाl हलवाई उसे अपने बेटे के समान समझने लगा थाl वह उस पर पूरा भरोसा करता थाl अब तो वह तरह तरह की मिठाइयां बनाना सीख गया थाl वह अब वहां सुख और आनंद से रहने लगाl
सच है---- "ईमानदारी सुख की खान हैl"
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MARK ME AS BRAINLIST PLZ PLZ