शंकर देव ने कौन सी पद्धति चलाईशंकर देव ने कौन सी पद्धति चलाएं
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शंकर देव ने नामघर स्थापित करने की पद्धति चलाई जहां भक्ति को प्रधानता दी जाती थी और मूर्तिपूजा मान्य नहीं थी ।
- शंकर देव वैष्णव संप्रदाय के है। इस संप्रदाय का मत है एक शरण लेना । उन्होंने भक्ति आंदोलन को प्रेरित किया ।
- वैष्णव संप्रदाय में मूर्ति पूजा को प्रधानता नहीं दी गई है। केवल धार्मिक उत्सवों कत एक पवित्र ग्रंथ को चौकी पर रख दिया जाता है , नैवेद्य तथा भक्ति निवेदित की जाती है। इनमे दीक्षा की व्यवस्था नहीं है।
- शंकर देव का जन्म असम में हुआ था। वे एक कवि, नाटककार, नर्तक , अभिनेता, नाटक कार, संगीतकार थे।
- 32 वर्ष की आयु में शंकर देव ने विरक्त होकर प्रथम तीर्थ यात्रा आरंभ की। उन्होंने उत्तर भारत के सभी तीर्थों का दर्शन किया।सनातन गोस्वामी व रूप गस्वामी से इनका साक्षात्कार हुआ।उन्होंने 54 वर्ष की आयु कालिंदी से विवाह किया।
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Answer:
शंकर देव ने नामघर स्थापित करने की पद्धति को चलाया और आगे बढ़ाया।
Explanation:
नामघर स्थापित करने की पद्धति -जहां भक्ति को विशेष महत्त्व दिया जाता था और मूर्तिपूजा वर्जित थी ।
- शंकर देव वैष्णव संप्रदाय से सम्बन्ध रखते थे। इस संप्रदाय का मत है एक शरण लेना । उन्होंने भक्ति आंदोलन को प्रेरित और प्रोत्साहित किया ।
- वैष्णव संप्रदाय में मूर्ति पूजा को विशेषता नहीं दी गई है।
- केवल धार्मिक उत्सवों कत एक पवित्र ग्रंथ को चौकी पर रखा जाता है, नैवेद्य तथा भक्ति निवेदित की जाती है। इनमे दीक्षा का चलन नहीं है।शंकर देव असम में पैदा हुए थे।
- वे एक कवि, नाटककार, नर्तक , अभिनेता, नाटक कार, संगीतकार थे।
- 32 वर्ष की उम्र में शंकर देव ने विरक्त होकर प्रथम तीर्थ यात्रा प्रारम्भ की। उन्होंने उत्तर भारत के सभी तीर्थों का दर्शन किया।सनातन गोस्वामी व रूप गस्वामी से इनका साक्षात्कार हुआ।उन्होंने 54 वर्ष की आयु कालिंदी से विवाह किया।
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