Environmental Sciences, asked by lolakumar50068, 7 months ago

शंकर व संकुल मक्का के अंतर स्पष्ट कीजिए​

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Answered by msjayasuriya4
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शंकर मक्का बीज का उत्पादन, एक हैक्टेयर में 10 हजार रुपए का खर्चा, मुनाफा 90 हजार

4 वर्ष पहले

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मक्का बीज उत्पादन की ये है प्रक्रिया

कृषिअधिकारी के अनुसार पूर्व में उस जमीन पर मक्का की किसी भी किस्म की बुआई नहीं होनी चाहिए। खेत तैयार करने के बाद उसमें डीएपी और यूरिया की पेराई कर दो-दो फीट की दूरी छोड़ कर पंक्तिवार प्रताप मक्का-3 किस्म के नर-मादा बीजों की बुआई की जाती है। इसमें एक लाइन में नर (ईआई 670-2) और फिर तीन लाइन में मादा (ईआई 586-2) बीज की नर-मादा लाइनों के क्रम में पूरे खेत में बुआई की जाती है। 15-20 दिनों के बाद निराई-गुड़ाई कर खरतपवार को बाहर निकाल लिया जाता है। वहीं रेगिंग में आफटाइप पौधों को भी उखाड़ लेते हैं। इस तरह 3 से 4 बार रेगिंग करनी पड़ती है। रेगिंग के बाद केवल मादा लाइन में उगे पोटे में से माजर निकाल ली जाती है। यह कार्य लगभग दस दिनों में पूरा हो जाता है। फिर फसल की कटाई शुरू होती है। इस तरह फसल पकने में करीब चार महीनों का वक्त लगता है। फसल कटाई में सबसे पहले नर लाइन के पौधों को काट कर अलग रख देते हैं। इसके बाद मादा लाइन के पौधों को काट कर अलग रखते हैं। फिर दोनों के भुट्टों को तोड़कर सिल्क हटाकर उन्हें धूप में सुखाया जाता है। अगर किसी भुट्टे के दाने में रंग अलग दिख रहा है तो उसे भी छांट लेते हैं। इसके बाद क्रेशर से दाने निकाले जाते हैं। इसमें नर पौधों के दाने को खाने में उपयोग में लिया जाता है। वहीं मादा पौधों से उगे भुट्टों के दाने को साफ बोरियों में भरकर बीज उत्पादन संस्थान को बेच दिया जाता है।

अंकित भट्ट | सागवाड़ा (डूंगरपुर)

शंकरमक्का बीज उत्पादन कर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है। प्रदेशभर में इस बार डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा उपखंड क्षेत्र में शंकर मक्का बीज उत्पादन की खेती हो रही है। बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत गौरेश्वर क्षेत्र में मोरन नदी के किनारे स्थित करीब दस हैक्टेयर जमीन पर दीनबंधु त्रिवेदी द्वारा इसकी खेती की जा रही है। कृषि अधिकारी एसआर वर्मा के अनुसार 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक इसकी बुआई का सर्वोत्तम समय माना गया है। मार्च अंत तक फसल पककर तैयार भी हो जाती है। एक हैक्टेयर में 20 किलो बीज बोने के साथ ही 90 किलो डीएपी और 250 किलो यूरिया डाला जाता है। इन सब पर करीब 62 सौ रुपए का खर्च बैठता है। वहीं लेबर और अन्य संसाधनों पर एक हैक्टेयर में खेती करने पर दस हजार रुपए खर्च होते हैं। लेकिन, फसल के अच्छी तरह पक जाने पर कम से कम 20 क्विंटल की पैदावार आसनी से मिल जाती है। इसमें नर और मादा दो तरह के बीजों की बुआई होती है। इसमें से मादा पौधों से उगे भुट्टों के दानों को बीज उत्पादन संस्थान द्वारा 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीद लिया जाता है। वहीं शेष दानों को खाने के काम में लिया जाता है।

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Answered by ishu8424
1

Answer:

yes upper answer is right you

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