शेख साहब न्यायप्रिय आदमी थे----प्रस्तुत कथन में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिये
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प्रस्तुत कहानी में कहानीकार सुदर्शन जी ने व्यंगोक्ति के माध्यम से कहा है कि शेख सलीमुद्दीन न्यायप्रिय आदमी थे . वह एक गरीब आदमी रसीला को सिर्फ आठ आने की चोरी में ६ महीने की सजा सुनाते है ,जबकि वह स्वयं एक दिन पहले किसी से एक हज़ार रुपये रिश्वत लेते हैं
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