शेखर जोशी की रचना ,भाषा ,शैली और साहित्य में स्थान
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शेखर जोशी की रचना ,भाषा ,शैली और साहित्य में स्थान
शेखर जोशी का जन्म 23 मई 1923 को अल्मोड़ा जनपद के ओलिया गांव में हुआ था |शेखर जोशी हिंदी के कथाकार का रूप मने जाते है | उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार , साहित्य भूषण , पहल सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है |
व्याख्या :
रचनाएँ : अंधो का हाथी , पिछले दिनों , तिलिस्म , यथासंभव , किसी बहाने , जिप पर सवार , इल्लियाँ , मैं -मैं और केवल मैं , संच को आंच क्यों , उत्सव |
भाषा : शरद जोशी की भाषा हमेशा सरल व सरस रही है | शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया है | देश-विदेश शब्दों का प्रयोग किया है | हिंदी के साथ कहीं अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया है | मुहावरों का प्रयोग किया है |
शैली : शरद जी की भाषा मुस्ख्य रूप से हास्य-व्यंग प्रधान है | उन्होंने सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए बड़ी सरलता से वर्णन किया है | राजनेताओं पर तीखे व्यंग लिखे है |
साहित्य में स्थान : शरद जी ने अपने रचनाओं , व्यंगों से बहुत लोकप्रियता हासिल की है | उन्होंने अपने पत्रिकाओं के माध्यम से समाज को एक करने की कोशिश की है | उन्होंने सभी लोगों तक अपने व्यंगों को पहुंचाया है | उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार , साहित्य भूषण , पहल सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है | व्यंगों के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा |
Explanation:
शेखर जोशी कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले सुपरिचित कथाकार हैं। शेखर जोशी की कहानियों का अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है।