शिखर पर पहुँचने संबंधी अंगदोरजी का निर्णय जोखिम भरा क्यों था,लेखिका ने उसे फिर भी स्वीकार क्यों कर लिया।
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एवरेस्ट शिखर सँकरा व नुकीला था। अतः वहाँ पहुँचकर स्वयं को सुरक्षित रूप से स्थिर करने के लिए बछेन्द्री पाल ने बर्फ के फावड़े से खुदाई की और उसके उपरान्त घुटनों के बल बैठकर 'सागरमाथे' के शिखर का चुंबन किया
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लेखिका ने अंगदोरजी के साथ पर्वत शिखर छूने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि वह जानती थी कि अंगदोरजी के साथ एक ही दिन में पर्वत शिखर पर जाने आने में बहुत कठोर परिश्रम होगा, परंतु फिर भी वह उसकी क्षमता पर विश्वास करती थी| उसे अंगदोरजी की कर्मठता और आरोहण शक्ति पर भरोसा था| इसी भरोसे उसने संग पर्वत शिखर छूने का निश्चय किया|
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