शीला अग्रवाल जैसी प्राध्यापिका किसी भी विद्यार्थी के जीवन को कैसे saware सकती है
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Maine thumari basha samaj mein nahi Aya sorry
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सही मार्गदर्शन करके
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लेखिका के लिए शीला अग्रवाल जी केवल विषयगत ज्ञान देने वाली शिक्षिका नहीं थीं, बल्कि एक सच्ची मार्गदर्शक थीं। उनकी प्रेरणा ने लेखिका के अंदर एक अद्भुत आत्मविश्वास भर दिया था ।उन्होंने लेखिका को जीवन में सही निर्णय लेकर बाधाओं का सामना करते हुए आगे बढ़ना सिखाया। उनके पदचिह्नों पर चलते हुए वे सामाजिक आंदोलनों एवं गतिविधियों में भाग लेकर उन दकियानूसी घरेलू बंदिशों को तोड़ने में कामयाब रहीं, जिन्हें तोड़ना उन दिनों न केवल उनके लिए, बल्कि हर लड़की के लिए बेहद मुश्किल काम था। अतः कहा जा सकता है कि शीला अग्रवाल जी जैसी अध्यापिका किसी भी विद्यार्थी के जीवन को संवार सकती हैं।
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