श्लेष अलंकार का उदाहरण
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जहां एक ही शब्द काम बार-बार प्रयोग होता हो परंतु हर बार अर्थ अलग हो। वहां श्लेष अलंकार होता है।
जो'रहीम' गति दीप की, कुल कपूत की सोय ।
बारे उजियारो करे, बढ़े अंधेरो होय।।"
जो'रहीम' गति दीप की, कुल कपूत की सोय ।
बारे उजियारो करे, बढ़े अंधेरो होय।।"
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"श्लेष अलंकार की परिभाषा :- श्लेष अलंकार का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण :-
चरन धरत चिंता करत,
चितवत चारों ओर |
सुवरन को खोजत फिरत,
कवि, व्यभिचारी, चोर |
उपर्युक्त दोहे की दूसरी पंक्ति में "सुबरन" का प्रयोग किया गया है जिसे कवि, व्यभिचारी और चोर- तीनों ढूंढ रहे हैं। इस प्रकार एक शब्द सुबरन के यहां तीन अर्थ है।
1 कवि सुबरन अर्थात अच्छे शब्द
2 व्यभिचारी सुबरन अर्थात अच्छा रूप रंग और
3 चोर भी सुबरन अर्थात स्वर्ण ढूंढ रहा है।
अतः यहाँ पर श्लेष अलंकार है।
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