शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है,
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है,
कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें। meaning of this
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शील,विनय, आदर्श, श्रेष्ठता आदि पडद्यांश में आये मनुष्य के चार सद्गुण शिक्षा बके साथ आवश्यक है। मनुष्य का नैतिक आधार हम जिन्हें न भुलाए, वे संस्कृति का सम्मान करें और जीवन का उथान करें।
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