शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है,
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं हैं,
कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें ।।
आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं है,
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नहीं है,
भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भुलें ।।
संजाल पूर्ण कीजिए।
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पद्यांश में आए मनुष्य के चार सद्गुण
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शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता पद्यांश में आए मनुष्य के चार सद्गुण है।
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