Hindi, asked by ujwalshere, 6 months ago

शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है,
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं हैं,
कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें ।।
आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं है,
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नहीं है,
भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भुलें ।।
पूर्ण कीजिए।
1)पद्यांश में आए मनुष्य के चार सद्गुण
पूर्ण कीजिए।
2) होना जरूरी है
आविष्कारों में
विज्ञान में
3) हम जिन्हें न भुलाएँ वे​

Answers

Answered by aslamm1
2

Answer:

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है,

किंतु डूबना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है,

जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूलें !!

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है,

शिक्षा क्‍या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है,

कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें !!

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं है,

सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नहीं है,

भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !!

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

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