Chemistry, asked by SumeMonty, 11 months ago

शाळेची घंटा
Can someone help me with an autobiography in Marathi on this topic​

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Answered by Anonymous
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ईश्वर की यह सृष्टि नाना प्रकार के जीव-जन्तुओं से भरी पड़ी है, जिसमें जल में रहने वाले, थल में रहने वाले तथा नभ में विचरण करने वाले प्राणी शामिल हैं । इस संसार में नभचर प्राणियों के रूप में विहग, पखेरू, परिन्दे, खग और पक्षी जैसे नामों से उनका विशिष्ट अस्तित्व है ।

अपने पंखों को फैलाये स्वच्छन्द आकाश में उड़ने वाला मैं धरती से अपना नात कभी नहीं तोड़ता, क्योंकि मैं जानता हूं कि चाहे मैं खुले अनन्त आकाश में कितनी ही उड़ान भरूं, मुझे आग तो इस धरती पर ही है । मेरा वास्तविक घर तो इस धरती पर ही है । मेरा वास्तविक घर तो पेड़ों के घोंसलों पर, घरों की छतों पर, वृक्षों के कोटरों पर, कहीं पत्थरों के खालों में होता है । मेरा जन्म अंडों से होता है ।

अण्डज प्रणियों के रूप में पहचाने जाने वाला मैं इस संसार में विभिन्न रूपों में मिलता हूं । पालतू तथा जंगली इन दोनों रूपों में मेरी विभिन्न प्रजातियां लोगों के लिए सदैव ही आर्स्थ्य का केन्द्र रही हैं । अनगिनत सुन्दर रूपों में पाया जाने वाला मैं छोटे-बड़े अनेक रूपों में पाया जाता हूं

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