शाम एक किसान कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए
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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी का जन्म 15 सितम्बर सन् 1927 में उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले में हुआ। ये अपने समय के बहुत ही प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि थे। कविताओं के अलावा इन्होंने बाल साहित्य, नाटक और कहानियां भी लिखीं। उनकी कृतियों को कई अन्य भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इनकी प्रमुख रचनाएं ‘खूंटियों पर टँगे लोग’, ‘पागल कुत्तों का मसीहा’, ‘बकरी’, ‘बतूता का जूता’ हैं। खूंटियों पर टँगे लोग काव्य संग्रह के लिए इन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता ‘शाम-एक किसान’ में शाम के समय का बड़ा ही मनोहर वर्णन किया है। शाम का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर है। इस दौरान पहाड़ – बैठे हुए किसी किसान जैसा दिख रहा है। आकाश उसके माथे पर बंधे एक साफे (पगड़ी) की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के पैरों पर पड़ी चादर जैसी लग रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल फूल किसी अंगीठी में रखे अंगारों की तरह दिख रहे हैं। फिर पूर्व दिशा में गहराता अंधेरा भेड़ों के झुंड जैसा लगता है। अचानक मोर के बोलने से सब बदल जाता है और शाम ढल जाती है।