‘शाम एक कि सान ‘ कवि ता मेंकवि नेपहाड़ को कि सान की भाँति क्यों बताया है?
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इस कविता के माध्यम से कवि ने पर्वतीय प्रदेश के सायंकालीन प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाने का प्रयास किया है। शाम को किसान के रूप में बताया है। पहाड़ किसान के रूप में घुटने मोड़े बैठा है। ... उसकी आवाज़ से लगता है शाम रूपी किसान हड़-बड़ा कर उठ गया जिससे चिलम उलट गई और चारों तरफ़ धुआँ फैल गया यानी अँधेरा छा गया।
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