"शाम एक कविता" का सारांश लिखे!
कक्षा-7
पुस्तक-वसंत भाग 1
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"शाम एक किसान कविता" का सारांश लिखे!
कक्षा-7 पुस्तक-वसंत भाग 1
इस कविता के लेखक सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी है। इस कविता में कवि ने जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण किया है। शाम के समय पहाड़ एक किसान की तरह दिखाई पड़ता है। मानो उसके सिर पर आकाश पगड़ी के समान बंधा है, पहाड़ के निचे बहती नदी एसी लगती है मानो की नदी घुटनों पर रखी चादर सी लग रही हो, पलाश के पेड़ों पर खिले लाल-लाल फूल मानो जलती हुई अँगीठी के समान देखते है। दूर पुर्व दिशा की ओर अंधेर भेड़ो के समूह के समान दुबका बैठा हुआ लगता है। तभी इस शाम के शंत दृश्य में अचानक मोर बोल पड़ता है। इस अवाज को सुनकर ऐसा लगा मानो किसी ने 'सुनते हो' की आवाज़ लगाई हो। चिलम उल्टी हो गई। उसमे से धुआ उठा। पश्चीम दिशा में सुर्य डूब गया और चारो ओर रात का अंधेर छा गया।
धन्यवाद
Explanation:
शाम एक किसान कविता का सारांश (summary of shaam ek kisan): सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता 'शाम-एक किसान' में शाम के समय का बड़ा ही मनोहर वर्णन किया है। शाम का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर है। इस दौरान पहाड़ – बैठे हुए किसी किसान जैसा दिख रहा है। आकाश उसके माथे पर बंधे एक साफे (पगड़ी) की तरह दिख रहा है।
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