शाम में किसान कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
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शाम एक किसान कविता का भावायृः
सवृधर दयाल सकसेना जी अपनी कविता
शाम एक किशान की इन पंकतीयो में शान होने
के समय प्राकृतिक दृशय का बड़ा ही मनोरम वणृन
कर रहे है।ऊस के अनुशार, शाम के समय पहाड किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है। और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगडी की तरह दिख रहा हैं।
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