श्न 1.
5
निम्न गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए ।
स्वाधीनता के दिन न चाहते हुए भी मन विषाद से भर जाता है । उन लोग के प्रति
कृतज्ञता के भाव तो अवश्य है. जिन्होने इस दिन को लाने की साधना की. लेकिन
कहीं-न-कहीं कसक है कि कैसी अपुरी साधना भी उनकी कि स्वाधीन देश का आकार ही
नहीं खड़ा हुआ । जिस मनोबल को ब्रिटिश शासन का दगा नही तोड सका, उसे अर्थ के
नियंत्रण ने तोड़ दिया, गोगवाद के नागपाश ने तोड दिया । अनावश्यक वस्तुओं के उपभोग
की भूख उरासे बडी भूख हो गयी और गोका कोला की कभी न बुझाने वाली प्यारा जीवन
की सबसे बड़ी प्यास हो गयी । इन सबके बावजूद इतना भी सुख कम नहीं है कि हम अब
इस पर आक्रोश व्यक्त कर सकते है. स्वाधीनता के धर्म से ऐसे विमुख नहीं है। कर्णधारों यह
धरती तुम्हें धारण करती है, इसका तुमने दूध पिया है. इस दूध का कोई दाग नहीं लग
सकता और तुम इससे अलग रहकर के खड़े भी नहीं हो सकते । देश पराधीन रहते हुए।
स्वाधीनता के दिन भी मन विषाद से भर जाने का क्या कारण है?
हमारा मनोबल किराने तोडा?
देश के कर्णधार किन्हें कहा गया है?
उपर्युक्त गदयाश का शीर्षक क्या है?
'पारधीन ' शब्द का विलोम शब्द लिखिए ।
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:
THAN
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श्न 1.
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निम्न गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए ।
स्वाधीनता के दिन न चाहते हुए भी मन विषाद से भर जाता है । उन लोग के प्रति
कृतज्ञता के भाव तो अवश्य है. जिन्होने इस दिन को लाने की साधना की. लेकिन
कहीं-न-कहीं कसक है कि कैसी अपुरी साधना भी उनकी कि स्वाधीन देश का आकार ही
नहीं खड़ा हुआ । जिस मनोबल को ब्रिटिश शासन का दगा नही तोड सका, उसे अर्थ के
नियंत्रण ने तोड़ दिया, गोगवाद के नागपाश ने तोड दिया । अनावश्यक वस्तुओं के उपभोग
की भूख उरासे बडी भूख हो गयी और गोका कोला की कभी न बुझाने वाली प्यारा जीवन
की सबसे बड़ी प्यास हो गयी । इन सबके बावजूद इतना भी सुख कम नहीं है कि हम अब
इस पर आक्रोश व्यक्त कर सकते है. स्वाधीनता के धर्म से ऐसे विमुख नहीं है। कर्णधारों यह
धरती तुम्हें धारण करती है, इसका तुमने दूध पिया है. इस दूध का कोई दाग नहीं लग
सकता और तुम इससे अलग रहकर के खड़े भी नहीं हो सकते । देश पराधीन रहते हुए।
स्वाधीनता के दिन भी मन विषाद से भर जाने का क्या कारण है?
हमारा मनोबल किराने तोडा?
देश के कर्णधार किन्हें कहा गया है?
उपर्युक्त गदयाश का शीर्षक क्या है?
'पारधीन ' शब्द का विलोम शब्द लिखिए ।
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