श्न 4. सिद्धार्थ ने हंस को कैसे बचाया?
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Answer:
She/ will come
a) SV b) SVO
c) SVCd) SVOC
She / became / a teacher
a) SVCA b) SVO
c) SVA
d) SVC
One of the boys / must go
a) SVCb) SVOA c) SVCA
d) SV
I/ wish /you/happy New Year
a) SV b) SVIO DO c) SVCd) SVOC
It /is/ dark / everywhere
a) SVCb) SVCA c) SVA
d) SVOA
उपवन में एक शांत जगह इसी प्रकार ध्यानमग्न थे तभी एक
घायल हंस उनके सामने आ गिरा जिससे उनका ध्यान भंग हो
गया । जब उन्होंने अपनी आँखे खोली तो देखा कि सामने
एक सफेद हंस तीर के वार से बुरी तरह घायल पड़ा तड़प
रहा है। उसे देखते ही सिद्धार्थ का मन द्रवित हो उठा और
उन्होंने उसे तुरंत उठा लिया । धीरे-धीरे वे हंस को सहलाने
लगे और फिर पास के सरोवर में जाकर उसका घाव धोकर
उसके शरीर से धीरे से तीर को निकाला। तीर निकालते ही
वह दर्द से तड़प उठा तब सिद्धार्थ उसे धीरे से सहलाते है और
उसके घाव पर पट्टी बांध देते हैं । उसी समय एक ओर से
कुछ शोर होता है और उधर से उनका चचेरा भाई देवदत्त
आता हुआ दिखाई दे।
सिद्धार्थ के हाथ में वह हंस देखकर बहुत खुश
होता है और हंस लेने के लिए सिद्धार्थ के पास दौड़ कर आ
धमकता है।
देवदत्त - 'सिद्धार्थ यह हंस तुम्हारे पास है और मैं इसे कब से
इधर-उधर ढूंढ रहा था । यह मेरा शिकार है , अब जाकर मिला
है ।'
सिद्धार्थ- 'नहीं देवदत्त । यह हंस मेरा है । यह तो कब का
दम तोड़ देता अगर मैं समय पर इसका इलाज न करता। '
देवदत्त- 'दम तोड़ देता तो क्या? यह तो मेरा शिकार है, मैंने
इसे इसलिए तो मारा है । तुम जबरदस्ती मेरे शिकार को
हड़पना चाहते हो ।'
इस तरह दोनों भाइयों में उस हंस के
लिए वाद-विवाद होने लगा और धीरे -धीरे बात बढ़ गई ।
तब दोनों ने मिलकर फैसला किया कि यह हंस किसका है
इस बात का निर्णय महाराज शुद्धोधन के पास जाकर ही
होगा और दोनों भाई राज-दरबार में गए, वहां उन दोनों ने
अपना-अपना तर्क महाराज के सामने रखा ।
महाराज शुद्धोधन विचार करके
बोले - 'चूंकि यह हंस देवदत्त का शिकार है इसलिए इसपर
पहला अधिकार देखा जाए तो देवदत्त का है पंरतु सिद्धार्थ ने
इसकी जान बचाई है और मारने वाले से बड़ा बचाने वाला
होता है इसलिए यह हंस सिद्धार्थ का हुआ ।'
महाराज शुद्धोधन का निर्णय सुनकर सिद्धार्थ की आखों में एक चमक आ गई और वे उस हंस के
शरीर पर धीरे से अपना हाथ रख सहलाने लगे।