श्न1.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर ।
मन की मन ही मांझ रही।
कहिए आधार आस आवन की, तन मन विथा सही।
अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बीरहीनी बिरह दही
चाहती हुर्ती गुहारि जितहिं तैं, उत तें धार बही ।
'सूरदास' अब धीर धरहि क्यौ, मरजादा न लही ।।
1. उपर्युक्त पद का भाव स्पष्ट कीजिए ।
स्तर
2. गोपियाँ किसे अपनी मर्यादा समझती थी?
अतर
3. गोपियों के लिए प्रिय और अप्रिय क्या है?
तर
4. योग के संदेशों ने गोपियों के हृदय पर क्या प्रभ
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