Hindi, asked by birbalbishnoi0701, 1 month ago

शिप bb
45
ओ निराशा, तू बता क्या चाहती है?
मैं कठिन तूफान कितने झेल आया,
मैं रुदन के पास हंस-हंस खेल आया।
मृत्यु -सागर -तीर पर पद-चिन्ह रखकर-
मैं अमरता का नया संदेश लाया।
आज तू किस को डराना चाहता है?
ओ निराशा तू बता क्या चाहती है ?
शूल क्या देखू चरण जब उठ चुके हैं
हार कैसी, हौसले जब बढ़ चुके हैं।
तेज मेरी चाल आंधी क्या करेगी?
आग में मेरे मनोरथ तप चुके हैं।
आज तू किस से लिपटना चाहती है?
चाहता हूं मैं कि नभ-थल को हिला दूं,
और रस की धार सब जग को पिला दूं।
चाहता हूं पग प्रलय- गति से मिलाकर
आह की आवाज पर मैं आग रख दूं।
आज तू किस को जलाना चाहती है?
वह निराशा तू बता क्या चाहती है?कवि क्या चाहता है ​

Answers

Answered by prajapatiojashvi2005
0

Answer:

कभी निराशा से कह रहा है और निराशा तो मुझे बता कि तू चाहती क्या है? मैं कितने कठिन तूफानों को झेल कर आया हूं l मैं अपनी जिंदगी में रो कर भी हंस-हंसकर खेल आया हूंl मैं मौत के सागर में भी अपने पैरों के निशान रखकर मैं अमरता का नया संदेश लेकर आया हूं l कभी कहते हैं निराशा किसे डरा रही हैl निराशा बता तू क्या चाहती है अब काटो पर ध्यान ना दे कर भी क्या फायदा जब हाथों में हथियार उठा ही लिया है अब हर भी कैसी जब मैंने अपने हौसलों को बहुत मजबूत कर दिया है मेरी तार को तुम अब धीमा नहीं कर सकती या आधा नहीं कर सकती l मैंने अपनी इच्छाओं को आग में तथा लिया है l और अब निराशा मेरे करीब भी नहीं आ सकती l मैं चाहता हूं कि मैं आकाश और धरती दोनों को हिला दूं और जो आशा का रस है वह सबको पिला दूं मैं अपने कदम पहले की गति से मिलाकर चलना चाहता हूं और जो निराशा की आवाज है उस पर मैं कदम रखकर आगे बढ़ना चाहता हूं निराशा तू बता कि तू क्या चाह रही है

Similar questions