History, asked by priyankakarnawal4185, 9 months ago

श्री गुरु नानक देव जी पर एक निष्कर्ष लिखें​

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Answered by vanshikasharma15
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-गुरू नानक देव कहते थे कि ईश्वर एक है। -हमेशा एक ही देव की उपासना करने के लिए गुरू नानक देव कहा करते थे। -नानक देव का मानना था कि ईश्वर की उपस्थिति हर जगह और सभी प्राणियों में है। -गुरू नानक देव की शिक्षा थी कि जो ईश्वर की भक्ति करता है उसे डर नहीं सताता है

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Answered by artigupta6500
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Answer:

गुरू नानक देव सिखों के पहले गुरू माने जाते हैं। हिन्दी तिथि के अनुसार इनका जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को तलवंडी नामक गांव में हुआ था। सिख धर्म के अनुयायी कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाश पर्व के तौर पर भी मनाते हैं। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर गुरू नानक देव की जयंती 12 नवंबर, मंगलवार के दिन है। कहते हैं कि गुरू नानक देव बचपन से ही शांत प्रवृति के थे। यही कारण है कि बाल्यावस्था में जब उनके साथी खेलकूद में व्यस्त होते तो वे अपनी आँख बंद कर ध्यान और चिंतन करने लगते।उनकी इस धार्मिक प्रवृति के कारण उनके माता-पिता चिंतित रहते थे। एक बार जब गुरू नानक देव के पिता उन्हें पढ़ने के लिए गुरुकुल में भेजा, परंतु उनके गुरू, नानक देव के प्रश्न पर निरुत्तर हो गए। गुरू नानक देव के ज्ञान को परखकर उनके शैक्षणिक गुरू इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उन्हें खुद ईश्वर ने ज्ञान देकर संसार में भेजा है। किंवदंती यह भी है कि गुरू नानक देव को एक मौलवी के पास भी पढ़ने के लिए भेजा गया, लेकिन कुतुबुद्दीन नामक मौलवी भी उनकी जिज्ञासा को शांत नहीं कर सके।

कहते हैं कि गुरू नानक देव अपना घर-द्वार छोड़कर अन्य देशों में भ्रमण के लिए निकल पड़े। जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य हैं। गुरू नानक देव इन देशों में घूम-घूमकर उपदेश करने लगे। अपने उपदेश के बाद गुरू नानक देव ने पंजाब में कबीर की ‘निर्गुण उपासना’ का प्रचार किया और इस प्रकार वे सिख संप्रदाय के गुरू हुए। मान्यता है कि उसी समय से गुरू नानक देव सिखों के पहले गुरू के रूप में प्रतिष्ठित हुए।

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